चातक
ठाकुर प्रसाद मिश्र आज चातक की तृषा में तीव्रता का ह्रास है. नेह नीरद से नहीं अब क्षुद्र सरिता दास है, एक निष्ठा की कहानी विगत की स्वप्निल निशा बन.…
ठाकुर प्रसाद मिश्र आज चातक की तृषा में तीव्रता का ह्रास है. नेह नीरद से नहीं अब क्षुद्र सरिता दास है, एक निष्ठा की कहानी विगत की स्वप्निल निशा बन.…
रमेश कुमार मिश्र हिंदी है तो हम हैं, यह भाव सदा उर मध्य बसे हिंदी | बहु चित्त चरित्र बाहक हिंदी, तन -मन हिंदी जीवन हिंदी|| कहीं रासो राज कही…
रमेश कुमार मिश्र लहर बीच सूर्य है कि सूर्य बीच लहर है. कि जल बीच कंचन ने आभा पसारी है, दृष्टि ही पीत है कि पीत स्वर्ण दृष्टि है, सहज…
रमेश कुमार मिश्र मैं कलम हूँ मेरा वजूद मेरी स्याही है, मैं थिरकती हूँ कवि तर्जनी पर अविराम. हो हृदय में पीर भारी , या कि उठती हों हिलोरें, मैं…
रमेश कुमार मिश्र मैं शहर जो बना तेरे ऐतबार में तुम शहर छोड़कर यूँ चले क्यों गए? कोई शिकवा नहीं जुस्तजू भी नहीं यूँ चले भी गए तो कहाँ जाओगे?…
रमेश कुमार मिश्र संस्कृत तनया हिंदी के प्रचार -प्रसार और महत्ता को स्थापित करने की तिथि 14 सितम्बर हिंदी दिवस के रूप मनाया जाता है. ध्यातव्य है कि सितंबर माह…
अरुणाकर पाण्डेय हिंदी के लोग कौन हैं जो हिंदी दिवस मनाते हैं ? देखा जाए तो इसमें मूलत: वे सब लोग शामिल होते हैं जो उसमें लिखते,पढ़ते और रचते हैं…
अरुणाकर पाण्डेय नई आवश्यकताओं और नए माध्यमों ने हमेशा भाषा को नए रूप देने में अग्रणी भूमिका निभाई है|जब बहुत सरल स्तर पर भाषा केवल संपर्क का काम करती थी…
रमेश कुमार मिश्र रचना रचिकै रचनाकर ने रचना में रची रचना सगरी. प्रभु राम के धाम अयोध्या पुरी जहाँ स्वर्ग छटा बिखरी- बिखरी. अरि हारि गयो हरि आइ गयो सुघरी…
अरुणाकर पाण्डेय शिखर पर पहुंचना एक बड़ी बात है लेकिन जब इंसान वहाँ स्थापित हो जाता है तो उसके सोचने का तरीका बदल जाता है |उसे जैसे अब और सफलता…