राम नहीं है आग सुनोram ji ke dham,se

रमेश कुमार मिश्र

Ramesh Mishra

रचना रचिकै रचनाकर ने रचना में रची रचना सगरी.

प्रभु राम के धाम अयोध्या पुरी जहाँ स्वर्ग छटा बिखरी- बिखरी.

अरि हारि गयो हरि आइ गयो सुघरी सुघरी संवरी नगरी.

सरयू जल दिव्य हुई डुबकी आनंद लस्यो डगरी-डगरी.

प्रगटे प्रभु दीनदयाल पुरी नवधा रस डूब गयी सबरी.

अब शरण तुम्हारी सदा रघुवर जीवन भर भक्ति करौं तुम्हरी


रमेश कुमार मिश्र की कलम से

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