रमेश कुमार मिश्र

सरकारी आंकडें अपनी तारीफ में कितने ही कसीदे क्यों न पढते रहें लेकिन जमीनी हकीकत तो यही है कि उत्तर प्रदेश की वर्तमान बिजली व्यवस्था लचर स्थिति में है । भारत में लगभग कुल 70 हजार के करीब गांव हैं , जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल के दृढ संकल्प के चलते बिजली के तार पहुंचे । भारत के हर गांव में बिजली की व्यवस्था हो, सफाई हो और सिंचाई की उचित व्यवस्था हो यही हमारे प्रधानमंत्री जी का सपना है ।आज उत्तर प्रदेश जो मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ जी की अगुआई में निरंतर विभिन्न मोर्चों पर प्रगति पथी है, वहीं बिजली व्यवस्था के मामले में न जाने कैसे बदहाल है ? पूरे प्रदेश में बेतहासा गर्मी का सितम जारी है और उसी में बदहाल बिजली व्यवस्था की बदइंतजामी भी अधिकतर ग्रामवासियों से सुनी जा सकती है । यह तो रही उत्तर प्रदेश के गांवों में बिजली की बदइंतजामी की बात उत्तर प्रदेश के शहरों में भी बिजली की बदइंतजामी की कोई कम नहीं है ।

जिला गाजियाबाद उत्तर प्रदेश के चर्चित और समृद्ध जिलों में से एक है । जिसका बडा हिस्सा दिल्ली राज्य की सीमा से सटा हुआ है । औद्योगिक नगरी के नाम से मशहूर शहर गाजियाबाद में बिजली कटौती अपने चरम पर रहती है । जबकि इसी जिले से उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री भी हैं । इसके बावजूद साहिबाबाद में कटौती का आलम तो ए है कि कई बार दस मिनट में 15 से 20 बार कट लग जाता है । अब इसे सरकार का दोष तो कह नहीं सकते हैं सरकार है वहां सब जायज है । उसका उदाहरण है कि कई बार यहां बिजली तब कट जाती है जबकि देश के प्रधानमंत्री या उत्तर प्रदेश के ही मुख्यमंत्री देश या अपने प्रदेश को संबोधित कर रहे होते हैं । इसके लिए जिम्मेदार कौन ? लेकिन जबाबदेही तयं करना तो सरकार का ही काम है।
सरकारी आंकडे बनाकर पेश कर देने से सच्चाई को ढका नहीं जा सकता है । बिजली आम आदमी की जरूरत है । तपन की तपिश का दर्द ए .सी में बैठकर फाइल बनाने वाले अधिकारी कब समझेंगे सवाल है । उत्तर प्रदेश के बिजली मंत्री महोदय को इस मामले पर संज्ञान लेना चाहिए लगता है कहीं न कहीं उनके सुस्त रवैये के चलते आज अधिकांश बच्चे बूढे जिन्हें बिजली के पंखे की जरूरत है वे तपन के तपिश में लाचार होकर तप रहे हैं ।
बल्ब में बिजली न होने के पीछे का राज क्या है कोई कहे न कहे यहां संवाद कम है।
साख मिटती नहीं गर सनम अनदेखा नहीं करते,
उत्तर प्रदेश में बिजली कटती नहीं अगर योगी जी किसी और पर भरोसा नहीं करते ।
वजह की वजह से वे बेखबर रह गये ,और पूरा शहर तपिश का शिकार हो गया ।
लेखक– दिल्लीविश्वविद्यालय दिल्ली से हिंदी में परास्नातक व हिंदी पत्रकारिता परास्नातक डिप्लोमा हैं ।