श्रद्धांजलि

अश्रुपूरित नमन है तुमको हे देवता ।

गगन भी मगन है पा तुमको हे देवता ।।

यूं तो आते हैं जग में मनुज बनकर सभी ।

कोई-कोई ही होता है तुम सा देवता ।।

ज्ञान की ज्योति दिल में तुम संजोए जिए।

धर्म पथ पर अडिग तुम सदा ही रहे ।।

भेद अपने पराए से परे तुम रहे ।

निर्बलों के बल बन खडे तुम रहे ।।

अश्रुपूरित नमन है तुमको हे देवता ।

गगन भी मगन है पा तुमको हे देवता ।।

श्री के श्रीनाथ चरणों में जगह दें तुम्हें ।

हरि कृपा से जनम मरण से मुक्ति मिले ।

पुष्प श्रद्धा के चरणों में है अर्पित तेरे ।

बगिया के फूल भी हैं सारे तेरे ।।।…..

महापथिक की आत्मा{ श्री श्री नाथ मिश्र}  को शत-शत नमन । नियति नियंता महापथिक की आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें और परम शांति प्रदान करें।

कवि/लेखक- दिल्लीविश्वविद्यालय दिल्ली से हिंदी में परास्नातक व हिंदी पत्रकारिता परास्नातक डिप्लोमा हैं

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