रमेश कुमार मिश्र
स्मित हंसी के साथ राधिका ने पंकज का नमस्कार स्वीकार किया. अगले ही क्षण राधिका ने कहा तो आप इतनी देर से खड़े हमें देख रहे थे यहाँ. पंकज ने कहा नहीं राधिका मैं तो बस अभी पल भर पहले ही यहाँ दाखिल हुआ हूँ.कलाई से घड़ी खोल उसे बैग में रखती हुई राधिका ने कहा उफ ए दिल्ली की गर्मी तो जान ही ले लेगी. बहुत उमस है यहाँ.हाँ यह तो है पंकज ने सिर हिलाते हुए कहा. राधिका ने कहा तो अब चलें यहाँ से .
पंकज ने गेट की तरफ इशारा करते हुए कहा हां चलते हैं. लगातार कई घंटे से जागने के कारण राधिका की आंखें रक्तवर्णी थीं जिनकी अरुणिमा उसके चेहरे के सौंदर्य में चार चांद लगा रहीं थीं.
दरबान ने गेट खोला पंकज और राधिका दोनों सेमीनार कक्ष से बाहर आए. काले संगमरमर से जड़ित सीढ़ियों पर पैर रखते हुए राधिका ने कहा तो आप भी पैदल ही आए हैं. हां आज गाड़ी नहीं लाया .बुक करते हैं मोबाइल खोलते हुए पंकज ने राधिका से कहा. नहीं मेट्रो स्टेशन तो नजदीक ही है मेट्रो से जाऊंगी , मुझे पांच बजे तक कहीं पहुंचना है.देर रात की फ्लाइट की वजह से सोना हो नहीं पाया बस मन कर रहा कि कब घर पहुंचूं और सो जाऊं गहरी नींद में. नींद भी स्वस्थ जीवन के लिए बहुत ही आवश्यक है.बहुत थक गयी हूँ रोड पार करती हुई राधिका ने कहा . स्थिर चाल से स्वभाव का पता चलता है. राधिका के एक – एक कदम सड़क पर संभल -संभल कर पड़ रहे थे.
अधिक गर्मी शरीर में डिहाइड्रेशन बढ़ा देती है.आलोकित चेहरे पर थकान की लकीरें साफ दिख जाती हैं. यहाँ पानी कहाँ मिलेगा ? धीमे कदमों में चलती राधिका ने धीमे स्वर में पंकज से कहा.
तेजगति में चलते हुए पंकज ने राधिका से कहा बस आगे दुकान है चलिए पानी मिलेगा. जरूरत के हिसाब से गति का बढ़ना भी आवश्यक हो जाता है.
आप तो बहुत दूर के रास्ते से ले आए ,मैं तो बहुत थक चुकी हूँ पानी की बोतल खोलती हुई राधिका ने कहा.
देखिए न पानी कितना महत्वपूर्ण है जीवन के लिए , इसलिए पानी का एक नाम जीवन भी है . एक पल पहले लग रहा था कि पानी के बिना तो गला ही सूख रहा और कुछ देर न मिला तो….
इसलिए ही कहा गया है कि पानी ही जीवन है.आज जब समूचे विश्व में जल संकट गहराता जा रहा है तब समय रहते जल संचयन को चेता न गया तो भाविष्यिक पीढ़ियों के लिए तो जल बचेगा ही नहीं. जल संचयन के बारे में तो सभी को सोचना ही चाहिए.एक – एक बूंद जल जैसे भी बच सके जल संचय कर जीवन के महत्व को समझना चाहिए. अधिक से अधिक जल संचयन मानवीय सभ्यता को अनंत काल तक जीवंतता प्रदान करता रहेगा. सधे कदमों से चलती राधिका यह बात कह ही रहीं थी कि मेट्रो स्टेशन के करीब आक्रमण की मुद्रा में एक बंदर ने हुंकार भरी . राधिका सहम कर सिमट गयी और पंकज ने अपने हाथ में लिए पानी के बोतल को जमीन पर बंदर के समक्ष फेंक दिया. बंदर को बार- बार आक्रमणकारी मुद्रा में आते देख पंकज ने राधिका से कहा राधिका आप भी अपने हाथ में लिए पानी का बोतल जमीन पर फेंक दो यह बंदर आपको पानी की बोतल आगे नहीं ले जाने देगा. राधिका ने ऐसा ही किया. वह बंदर पंकज द्वारा फेंकें गए बोतल के ढक्कन को खोलने का अथक प्रयास करने लगा. जमीन पर पड़ी दूसरी बोतल पर उसकी अनिक्षा देख पंकज ने दूसरे पानी के बोतल को उठा लिया और राधिका के हवाले कर दिया. प्यास तो सभी को लगती है वह चाहे मनुष्य हो या पशु – पक्षी . इसलिए पानी की आवश्यकता तो सभी को है. जितना पानी अपनी प्यास बुझाने के लिए आवश्यक था उस बंदर ने लिया और दूसरी पानी की बोतल पर चेष्टा न जताई. काश मानव भी इन चीजों को समझ पाता.
मनुष्य पर्यावरण के संतुलन का ख्याल किए बिना ही तमाम तरह की तकनीक विकसित करता जा रहा है . बारह बाई बारह के कमरे को शीतल करने के लिए जो तमाम तरह की ए.सी. विकसित किए करता जा रहा है उसका दुष्प्रभाव यह है कि वातावरण में तापमान बढाने में उसकी अधिक से अधिक भागीदारी बढ़ती जा रहा है.यह तो स्वयं के घर को जलाने जैसा है.
प्यास की त्वरा प्रथम आक्रमण और बाद में बोतल के ढक्कन पर दंत प्रहार से समझी जा सकती थी.
कुछ पल पहले बंदर की घुड़की से सहमी और सिमटी राधिका कुछ दूर पर आकर बोली ए बंदर तो थप्पड़ भी मारते हैं. मेरी एक फ्रेंड को अयोध्या में थप्पड़ मारकर केला ले लिया था. बहुत खतरनाक होते हैं.
हां अयोध्या में बहुत बंदर हैं . मनुष्य उनके जंगल आदि उजाड़ते हुए वृक्षों की कटाई करता जा रहा है. उनके आश्रय छीनता जा रहा है.
यही कारण है कि बहुत सारे बंदर अपना हक अधिकार जताकर अयोध्या नगरी में हावी रहते हैं. ऐसे में मनुष्य पर प्रहार कर अपनी क्षुधा पूर्ति हेतु प्रसाद ग्रहण कर लेते हैं. मनुष्य से बहुत कम या न के बराबर स्वार्थी होते हैं ए बंदर सीढ़ियों से उतरते हुए पंकज ने कहा.
मनुष्य स्वयं में एक पशु है.पशुओं के बीच में घिरा रहता है. विवेक ही मनुष्य को पशु से इंसान बनाता है. अच्छी सोच ही मनुष्य को पशुता से मानवता की तरफ ले जाती है .
सुरक्षा हेतु सावधान रहने से मनुष्य का समय और धन दोनों बचता है.समय सबसे अधिक कीमती है. मेट्रो सुरक्षा जांच के समय असावधानी में न जाने कितने अपने बैग के साथ बहुमूल्य वस्तुएं खो देते होंगे. राधिका के साथ हुई उस समय की घटना से अंदाजा लगाया जा सकता है. राधिका ने जब स्कैनिंग हेतु अपना बैग स्कैनिंग मशीन में डाला तो उसी समय एक सज्जन ने भी उसी तरह का बैग स्कैनिंग मशीन में डाला और जल्दी से राधिका का बैग लेकर एक दो तीन होने की कोशिश में चल दिए. इंट्री गेट पर कार्ड पर लगाकर वे अंदर प्लेटफार्म की तरफ निकल रफू चक्कर हो पाते कि इससे पहले राधिका ने फुर्ती दिखाते हुए आवाज लगायी कि आप मेरा बैग लेकर जा रहे हैं. बैग चेक करने पर पता चला कि ऐसा ही हो रहा था. राधिका ने सेमीनार कक्ष से चलने से पहले उसी बैग में अपनी कलाई की घड़ी उतार कर रख दिया था. घड़ी सिर्फ समय बताने वाला यंत्र भर नहीं है. घड़ी मन मस्तिष्क से जुड़ जाती है और जिससे जितना अधिक जुड़ती है वह उतना ही सफल बनता है. घड़ी समय बताने के साथ समय का महत्व भी बताती है. इसलिए ही तो कहते हैं कि सावधानी हटी दुर्घटना घटी अगर आज मैं असावधान रहती तो मेरी घड़ी तो…. इसलिए सदैव सावधान रहना चाहिए और विशेष करके समय पर कि कोई आपकी बेपरवाही का फायदा उठाकर आपसे आपका बेशकीमती समय न चुरा ले राधिका ने लंबी सांसे भरते हुए कहा.
हां यह तो है परंतु दोनों बैग एक जैसे ही तो थे फिर कैसे तुम इतना जल्दी से समझ पायी कि ए तुम्हारा बैग नहीं?
गजब बात करते हैं, मेरा बैग मोटा दिख रहा था. मैंने उसमें पानी की बोतल डाल दिया था. वह जानबूझकर मेरा बैग लेकर नौ दौ ग्यारह हो रहा था.
सावधानी ही सुरक्षा की पहली गारंटी है यह भाव विजयिनी राधिका के चेहरे पर साफ झलक रहा था.
अच्छा पानी की बोतल ने तुम्हारी घड़ी बचा लिया… तभी तो कहते हैं…
रहिमन पानी राखिये बिन पानी सब सून.
पानी गएं न उबरैं मोती मानुष चून…
पंकज ने हंसते हुए कहा.
आपका स्टेशन करीब है जाओ स्मित हंसी के साथ राधिका ने कहा.
हां आने वाला तो है. सोच रहा हूँ कि तुम्हें तुम्हारे स्टेशन तक छोड़ दूं.
छोड़ आऊं कौन सा गाड़ी लेकर आए हो जो छोड़कर आओगे. मोबाइल रखती हुई राधिका ने कहा.
मानवीय रिश्ते में साधन महत्वपूर्ण नहीं अपितु भाव महत्वपूर्ण होते हैं. छोड़ आने का आशय कुछ कदम और साथ चलने की ख्वाहिश होती है. ख्वाहिश पर पाबंदी की लगाम आवश्यक होती है.
मेट्रो ट्रेन दिल्ली या किसी भी शहर के लिए वरदान है राधिका. एक तरफ जाड़ा-गर्मी से यो बचाती ही है पैसों की बचत के साथ समय की बचत भी करती है. मेरा तो मानना है कि जितने लोग मेट्रो से चल रहे हैं वे सभी पर्यावरण संतुलन में अपना योगदान दे रहे हैं. मेट्रो लाखों लोगों को बिना भेदभाव यात्रा कराती है. वह भी स्वच्छ और सुरक्षित. राधिका इस मेट्रो में तो कुछ भारतीय शापिंग मालों व रेस्टोरेंट जैसा भेदभाव भी नहीं है जो किसी का पहनावा देखकर यात्रा करने से रोकें. स्टैटस सिंबल का कोई चक्कर ही नहीं यहाँ. मैं तो कहता हूँ कि सरकार को रोड से अगर ट्रैफिक खत्म करना है तो मेट्रो में लकी ड्रॉ की योजना लागू कर देनी चाहिए. पांच हजार का लकी ड्रॉ प्राप्त करने के लिए लिए बडे़ से बडे़ लोग अपनी बड़ी – बड़ी कार खड़ी कर मेट्रो में नजर आएंगे. यह भारत है यहाँ फ्री पर शाख नहीं जाती.
हां ठीक तो है आप इसकी भी अर्जी लगा दीजिए. राधिका ने नरम स्वर में कहा.
अर्जी शब्द राधिका के शब्द कोष में न थे. अपनत्व के अधिकार पर आदेश का भाव राधिका के स्वाभिमान की गवाही थे.
अर्जी भी अपनेपन का बोध लिए रहती है लेकिन उसमें विनम्रता का पुट अधिक होता है. विशेष से विशेष के लिए जब कुछ मांगा जाता है तो निवेदन या अर्जी की सफलता का प्रतिशत अधिक होता है. विनम्रता बड़प्पन का पहला गुण है.
राधिका ने कहा पंकज तुम्हारा स्टेशन आ गया.
नमस्कार की शीघ्रता के साथ पंकज अपने स्टेशन पर उतर गया और उसकी वही मेट्रो जो अभी कुछ पल उसके साथ थी दूर से दूर नजरों से ओझल हो गयी….
पंकज खड़े -खड़े सोचता रहा गत्यात्मकता में ही जीवंतता है इसलिए चलते रहने से मंजिल की तरफ जाने वाला पथ सुगम हो जाता है. मंजिल उन्हीं को मिलती है जो घर से निकलते हैं.
लेखक की कलम से