रहमान की भैंस ( बाल कहानी )

रहमान की भैंस image source chat gpt

ठाकुर प्रसाद मिश्र

THAKUR PRASAD MISHRA

मियां रहमान पहलवानी का शौक रखते थे । गोरा रंग ,गठा शरीर ,ऐंठी हुई भुजाएं कुल मिलाकर वे पहलवान थे । जितने वे स्वस्थ थे उससे अधिक उनमें फुर्ती । उन्होंने कई दंगलों में अपने से अधिकतर बडे पहलवानों को चित किया था । इन सबमें सबसे ज्यादा सहायक थी उनकी भैंस । जब ए छोटी थी तभी रहमान इसको खरीदकर कहीं से लाए थे । घर वालों के साथ रहमान ने उसकी बडी सेवा की । चारे में उसे सूखे चारे के साथ हरी घास दी जाती तथा पिसा हुआ मोटा अनाज भी । कुछ ही दिन में भैंस भूसे खूब तैयार होकर गाभिन हो गयी । और जब बच्चा दिया तो रहमान बहुत खुश हुए क्योंकि भैंस काफी दूध देने वाला निकली । उसका एक समय का दूध परिवार के लोग खाते तथा दूसरी पाली का दूध रहमान अकेले गर्माकर खूब गाढा करके पीते । रहमान का ज्यादा समय भैंस की सेवा में बीतता । वे रोज उसे नहला कर उसके शरीर पर कडुआ तेल (सरसों का तेल ) की मालिश करते । भैंस उनसे बहुत प्रेम करती थी । जब वह उसे चराने ले जाते तो वह उनके पीछे –पीछे चलती , जहां वे खडे होते वहीं आस-पास  घास चरती ।

रहमान पहलवान तो थे ही । शरीर में ताकत होने के कारण वे किसी से दबते नहीं थे । उनके अंदर अकड भी काफी थी । अतः कुछ लोग उनसे अंदर ही अंदर दुश्मनी भी रखते थे । दो दिन पहले उनका कुछ लोगों से झगडा हो गया था । अतः उनके आठ दस दुश्मनों ने मिलकर उन्हें पीटने की योजना बनाई दूसरे दिन वे लाठी डंडे लेकर रहमान के घर पर आए । रहमान उन्हें मिले नहीं । वे घर के बगल में खेत में काम कर रहे थे । भैंस उन लोगों को देखकर लाल आंखें देखकर लाल आंखें किए घूर रही थी । वह रहमान के परिवार के अलावा और को अपने पास फटकने नहीं देता थी . वे लोग रहमान को घर पर न पाकर उन्हें ढूढने चले गए । वापस जाते समय उन लोगों ने रहमान को खेत पर काम करते देख लिय़ा । वे सब अपने लाठी डंडे संभाल रहमान पर टूट पडे । रहमान ने जब अपने दुश्मनों को लाठी लेकर अपनी तरफ आते देखा तो वे सतर्क हो गए । और अपनी कुदाल उठाकर उनसे मुकाबले को तैयार हो गए । दुश्मनों के सारे प्रहार वे कुदाल के बेंट पर रोक रहे थे । उन्होंने अपने परिवार वालों को आवाज दी । घर पर उस समय कोई नहीं था । उनकी पत्नी भी किसी काम से कहीं गई थी । इसलिए कोई बोला नहीं ।

रहमान की आवाज जब भैंस के कान में पडी तो वह तडफडा उठी। उसने झटके से गले में बंधी रस्सी तोड दी और अत्यंत तेजी से दौडती हुई खेत में पहुंच गयी । रहमान के दुश्मनों को देख उसने उग्र रूप धारण कर लिया । वह उनके दुश्मनों को अपनी सींगों पर उठाकर पटकने लगी । एक दो ने उस पर लाठी का प्रहार भी किया लेकिन उस पर कोई असर नहीं हुआ ।पांच छः लोगों को उसने बुरी तरह घायल भी कर दिया । अब दुश्मनों की हिम्मत छूट गई । वे भाग निकले दो लोगों करो पकडकर रहमान ने पुलिस के हवाले करवाया । तबसे अपनी जान बचाने वाली भैंस के प्रति उनका प्रेम दुगुना हो गया । उन्होंने उसे बेंचने का भी नाम नहीं लिया । वह जीवन भर उनके पास ही रही ।

सच है , हित एवं दुश्मनों की पहचान पशुक्षियों में भी होती है। प्रेम द्वारा ही किसी से कुछ पाया जा सकता है नफरत से नहीं ।

प्रस्तुत कहानी हिन्दुस्तान टाइम्स की प्रसिद्ध बाल पत्रिका नंदन में भी प्रकाशित हो चुकी है ।

लेखक –ठाकुर प्रसाद मिश्र

प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार

प्रकाशित हिंदी उपन्यास रद्दी के पन्ने

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