प्रगति पथी भारत

प्रगति पथी भारत india bharat health of india

प्रगति के पथ पर नित नई कहानी लिखता हुआ भारत दुनिया की सबसे बड़ी पांचवी अर्थव्यवस्था बनकर दुनिया को यह संदेश देने में सफल रहा कि आत्मनिर्भरता में भारत  किसी से कम नहीं है. शीघ्र ही दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की होड़ में भारत निकट भविष्य 2047 में विकसित भारत बनने के लक्ष्य पथ पर आत्मविश्वास के साथ बढ़ रहा है. सैकड़ों वर्षों की गुलामी और विभाजन की त्रासदी का दंश झेलने  वाला भारत अपने हौसले और ज्ञान की पूंजी से तेज रफ्तार की से दौड़ रहा है. उदारचरितानाम्वसुधैवकुटुम्कम् की बलवती धारणा को दिल में बसाये हुए भारत दुनिया के प्रति अपना सकारात्मक नजरिया अपनाकर चलता है. हिंसा भारत के शब्द कोश में नहीं है लेकिन आत्मरक्षा भारत के स्वाभिमान का अहम हिस्सा है. इतिहास गवाह है कि भारत किसी को छेड़ता नहीं है परंतु यदि किसी ने भारत की अस्मिता के साथ छेड़छाड़ की तो फिर भारत उसे छोड़ता भी नहीं है.  

भारत की आज़ादी में हमारे स्वतंत्रता संग्राम के सिपाहियों ने भारत माटी की रक्षा में अपने प्राणों की बलि देकर हम सभी को आजादी दिलाई है. हमें भी अपने देश की अखंडता और संप्रभुता को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए प्राणों की बाजी लगाकर सदैव इसकी रक्षा को तैयार रहना होगा. 

 हिंसा सदैव मानवता को कलंकित करती है. हमें यह ध्यान देना होगा कि मजहबी लड़ाई में मानवता को महत्व  दें न कि नफरत को. विभाजन की विभीषिका का दंश भारत के लिए सहज न था, कत्लेआम में कोई हिंदू मुस्लमान ,सिख और ईसाई नहीं मरा,  कत्ल हुआ मनुष्यता का और कलंकित हुई मानवता .यही नहीं होना चाहिए.  

हिंसा में कुछ और नहीं जलता है ,जलती है जीने की आजादी, सपने और आत्मीयता हाल ही में बांग्लादेश इसका शिकार हुआ. लोकतंत्र में  आंदोलन का अधिकार सुरक्षित है लेकिन हिंसा  की कोई जगह नहीं है.भारत का लोकतंत्र मजबूत इसलिए है कि वह मानवीय मूल्यों का पक्षधर है. भारत अपने पड़ोसी देश में जल्द स्वस्थ लोकतंत्र स्थापित होने की कामना करता है .  

भारत की दुनिया की पांचवी अर्थव्यवस्था होने के बावजूद अभी तक ओलंपिक खेलों अपेक्षित पदक अर्जित करने में भले पीछे रहा हो लेकिन इस बार के ओलंपिक खेलों में भारत की उपस्थिति भविष्य में  होने वाले ओलंपिक में मजबूती से अधिक से अधिक पदक लाने की आहट है. 

भारत क्रिकेट की तरह अन्य खेलों में भी दुनिया में अपना परचम लहरा सके इसके लिए सरकारों को विशेष ध्यान देने की जरूरत है. 

भारत शुरू से ही विश्व गुरू रहा है. सृष्टि के आदिकाल से ही भारत खगोलीय ज्ञान रखता है विज्ञान आज जिन्हें सिद्ध कर रहा है या करने की कोशिश में है, वे भारतीय मनीषा के द्वारा पहले से ही अक्षरसः प्रमाणित हैं. भारत ने विगत वर्ष ही चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर यह साबित कर दिया है. 

भारत एक कृषि प्रधान देश है .हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री ने कृषि क्षेत्र में किसानों की उपज सहजता से बढ़ सके के लिए 65 फसलों के 109  उन्नत किस्म के बीजों का शुभारंभ किया है. जाहिर सी बात है पानी की कमी वाले क्षेत्रों में भी कुछ खास किस्में अच्छी उपज देकर किसानों की खुशहाली में को बढ़ावा ही देंगी . यह देश के किसानों के लिए अच्छी खबर है. 

भारत की संसद भारत का संवैधानिक मंदिर है. जहाँ से देश के लोकतंत्र को सुरक्षित रखने की व्यवस्था को बल मिलता है. देश व समाज हित में नियम बनते हैं. लोकसभा अध्यक्ष व सभापति के पद की गरिमा का ध्यान सम्मानित  जनता के प्रतिनिधियों को भविष्य को देखते हुए रखना चाहिए. आगत पीढ़ी सदैव अपने बड़ों से सीखती है इसलिए इस बात का ध्यान अवश्य रखा जाना चाहिए. 

विदेश नीति में भारत की उपलब्धियां इस अर्थ में सराहनीय हैं कि आज जब दुनिया के कई हिस्सों में युद्ध छिड़ा हुआ है तब पूरी दुनिया भारत से आस लगाए बैठी है कि भारत मध्यस्थता करके  युद्ध रुकवाने में उनकी मदद करे. युद्ध अतिमहत्वाकांक्षा का बिगड़ा हुआ रूप है जहाँ  मानवता की हत्या हो रही होती है. भारत शान्ति का पक्षधर है.दुनिया जानती है. प्रगति का भविष्य युद्ध नहीं शांति और सौहार्द्र में छिपा हुआ है जिस किसी ने इस मंत्र को अपनाया वह विकास के सुंदर पथ पर निर्वाध बढ़ता  चला जा रहा है. 

किसी भी देश की शिक्षा व्यवस्था उस देश का भविष्य तयं करती है. योग्य शिक्षक समाज व देश की प्रगति के जरूरी पहिए हैं. जातिवाद व आरक्षण से लोगों को पद तक पहुंचाया तो जा सकता है लेकिन अगर उसमें योग्यता का ध्यान न रखा गया तो एक दिन देश की सारी व्यवस्था चरमराकर  टूट भी सकती है इसमें दो राय नहीं. भारत में शिक्षा दान की वस्तु रही है लेकिन पश्चिमी सभ्यता का असर इसे भी व्यापारिक बनाने में कोई कोर कसर न छोड़ा. भारत में जबसे शिक्षा में  निजीकरण माडल भी सक्रिय हुआ है तबसे भारत के सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर गिरता चला गया और अधिकांश  निजी स्कूल दिखावे के नाम पर  धन उगाही के केंद्र बन गए. ध्यान रहे स्कूल ही वह केंद्र है जहाँ से अमीर और गरीब के भेद को खत्म किया जा सकता है. स्कूलों में  ही देश का भविष्य पलता है. भारत के स्कूलों में जहाँ अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई होती है वहाँ से तमाम शिक्षा प्रद महान व्यक्तित्वों को लगातार योजनाबद्ध तरीके से हटाया जा रहा है .उनके साथ भारतीय परंपरा से जुड़े पाठों को भी दरकिनार किया जा रहा है. यह देश की आजादी के भविष्य के लिए ठीक नहीं है. 

भारत के भविष्य हमारे नौनिहाल बच्चे हैं.  

स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही एक दिन जान ले लेती है. भारत में ज्यादातर सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं लापरवाही और उपेक्षा की शिकार हैं. सस्ती  स्वास्थ्य सुविधा पाना प्रत्येक भारतीय का अधिकार है. जबकि आजकल भारत में यह इसके उलट है. 

किसी भी देश का भविष्य उस देश के राजनेताओं और नौकरशाही की नेक नियति पर टिका होता है. 

कहानी तक (www.kahanitak.com) टीम  समस्त देशवासियों को 78 वें स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं देती है और  हर घर तिरंगा भावना का हृदय से सम्मान करती.  

संपादक रमेश कुमार मिश्र की कलम से 

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