कविता

कामना

ठाकुर प्रसाद मिश्र भावना की पुष्करणि में मन जलधि का नीर भरकर. कल्पना की डुबकियों से ढूंढ़ते मुक्ता मनोहर. काम की आसक्ति ही यदि पूर्णता का द्वार होती. कर्मफल होता…

अपना तुम जीवन बीमा करा लो

रमेश कुमार मिश्र आओ चलो अब बीमा करा लें, जिंदगी में खुशियाँ मना लें । बचत की भी कुछ बात कर लें, संग सुरक्षा साथ धर लें।। क्यों… ? सोचता…

नया बिहान

ठाकुर प्रसाद मिश्र कब नया बिहान होगा? देश की काया कलुष का कब पुन: अवसान होगा? मुर्ख पंडित मान खंडित शर्म नयनों से तिरोहित. त्याग सारी मान्यताएं जौ खड़े दुर्बाद…

आसान थोड़े ही है

विशाखा गोयल नज़रें चुराते हुए उन्हें तकना, खुद का टुकड़ों में होकर भी दिल औरों का रखना, आसान थोड़े ही है। स्याही से लिखा हुआ मिटाना, किसी फरेब को सफाई…

यह सेतुबंध! 

अरुणेश मिश्र यह सेतुबंध ! किस मेधावी अभियंता ने कर सुरुचिपूर्ण इसका प्रबंध । बतला दी तीनो लोकों में भगवान राम की ही सुगंध । यह सेतुबंध ! यह सेतु…

राम नहीं है आग सुनो

रमेश कुमार मिश्र राम नहीं हैं आग सुनो, हैं राम ऊर्जा धारा | पिंड- पिंड में राम विराजें, है ब्रहमाण्ड राममय सारा || विंदु राम हैं, सिंधु राम हैं, राम…

प्रार्थना

रमेश कुमार मिश्र मन मानस में हरि भक्ति बसी | अब चित्त विषय रस हेरत नाहीं || रसना रसिका बनी रामहिं की | अब दूजा नाम कहावत नाहीं || नयनन…