डा. संदीप कुमार
नर की आशा, प्रेम और विश्वास नारी है
दुर्गा रूप में प्यारी, काली बन संघारी है..
सरस्वती बनकर देती बुद्धि और ज्ञान
तो लक्ष्मी बन घर की किस्मत सँवारी है..
नारी शक्ति के बिना हर नर अधूरा है
माँ से बेटी तक रूपलिए ज़िंदगी गुज़ारी है..
मुश्किलों से लड़ना बख़ूबी उसे आता है
रचनाकार— सुप्रसिध्द लेखक, विचारक, पत्रकार और ब्लागर हैं