शिव स्तुति
अज विभु व्यापक अनादि अनंता, त्रिभुवन विदित शंभु मुनि संता रमेश कुमार मिश्र अज विभु व्यापक अनादि अनंता, त्रिभुवन विदित शंभु मुनि संता पर्वत नदियाँ तेरी माया, कोटि सूर्य सम…
अज विभु व्यापक अनादि अनंता, त्रिभुवन विदित शंभु मुनि संता रमेश कुमार मिश्र अज विभु व्यापक अनादि अनंता, त्रिभुवन विदित शंभु मुनि संता पर्वत नदियाँ तेरी माया, कोटि सूर्य सम…
शांतवन है क्लांतमन दिग्भ्रान्त तन है तुम नहीं हो ! अरुणेश मिश्र शांतवन है क्लांतमन दिग्भ्रान्त तन है तुम नहीं हो ! साथ किसके रह रही हो ? तुम हमारे…
प्रस्तुत आरती प्रभु के प्रति श्रद्धा व्यक्त करती है ठाकुर प्रसाद मिश्र आरती किस मुख से प्रभु गाऊं ? गर्भ त्रास भयभीत मुरारी हर पल तुम्हें मनाऊं || भजन हेतु…