खेलना
जियो ऐसे की तुम खेल रहे हो अरुणाकर पाण्डेय जियो ऐसे की तुम खेल रहे हो अवसर आएंगे और जाएंगे कभी हताशा में डूबोगे तो फिर उत्साह की बयार भी…
जियो ऐसे की तुम खेल रहे हो अरुणाकर पाण्डेय जियो ऐसे की तुम खेल रहे हो अवसर आएंगे और जाएंगे कभी हताशा में डूबोगे तो फिर उत्साह की बयार भी…
वृक्ष हमारी प्रकृति के श्रृंगार हैं. संपूर्ण धरा इन वृक्षों से सुसज्जित रहती है. प्रस्तुत कविता में पर्यावरण की चर्चा हमें प्रकृति से जुड़ने को प्रेरित करती है ठाकुर प्रसाद…