आलेख

धननाश मनस्ताप गृह क्लेश स्वयं का ठगा जाना और अपमान कभी किसी दूसरे को नहीं बताएं –आचार्य चाणक्य

रमेश कुमार मिश्र आचार्य चाण्क्य एक महान राजनीतिज्ञ, अर्थशास्त्री और दार्शनिक थे । आचार्य चाणक्य द्वारा लिखित राजनीति और अर्थशास्त्र नामक पुस्तक राजनीति ,आर्थशास्त्र और प्रशासन पर एक महत्वपूर्ण ग्रंथ…

हृषिकेश मुखर्जी की फिल्म ‘चुपके चुपके

अरुणाकर पाण्डेय मुझे अमिताभ बच्चन (सुकुमार) और धर्मेंद्र जी (परिमल) की जोड़ी ‘शोले’ की तुलना में ‘चुपके-चुपके’ (1975) में अधिक पसंद आई (जय और वीरू के प्रति सम्मान के साथ)।…

प्रौद्योगिकी संस्थानों में भाषा की समस्याएँ

अरुणाकर पाण्डेय अक्टूबर 2016 की बात है ।तब भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के बारे में शिक्षण-भाषा के संदर्भ में एक समाचार पढ़ने को मिला था कि अंग्रेज़ी न जानने के कारण…

विद्यार्थियों के लिए आठ स्मरणीय बातें —आचार्य चाणक्य

रमेश कुमार मिश्र आचार्य चाण्क्य भारतीय मनीषा के निपुण विद्वान रहे हैं । जिनकी नीतियों का लोहा पूरी दुनिया मानती है आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों के माध्यम से एक…

हिंदी के प्रसिद्ध आलोचक डॉक्टर रामविलास शर्माजी की जयंती के अवसर पर अरुणाकर जी का आलेख

“फिर हिंदी की किताबें कौन पढ़ेगा ?” डॉक्टर रामविलास शर्मा हिंदी के वरिष्ठ आलोचक डॉक्टर रामविलास शर्मा जी ने यह प्रश्न सन् 93 में एक साक्षात्कार में उठाया था ।…

मानसिक स्वास्थ्य के लिए विवेकानंद जी के विचार आज भी प्रासंगिक

डॉ मनोज कुमार तिवारी , वरिष्ठ परामर्शदाता एआरटी सेंटर, एस एस हॉस्पिटल, आईएमएस, बीएचयू, वाराणसी आधुनिक समय में भी स्वामी विवेकानंद के एक-एक शब्द दुनिया भर में लोगों को प्रेरित…

द्वंद्व और आचार्य रामचंद्र शुक्ल

अरुणाकर पाण्डेय आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने अपने चिंतन में द्वंद्व को पर्याप्त महत्व दिया है जो उनके लेखन में अक्सर उभरता है।एक जगह उन्होंने कहा भी है कि – “अनुभूति…

प्रेमचंद जी की पुण्यतिथि के अवसर पर विशेष 

उनकी स्मृति – ‘हंस’ आज भी जीवित है, परन्तु ‘हंस’ का वह मोती कहाॅ‌ ?” ये उद्गार कथा सम्राट प्रेमचंद जी की पत्नी श्रीमती शिवरानी देवी द्वारा उनके देहावसान के…

आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी की जयंती  के अवसर पर अरुणाकर जी का आलेख विशेष रूप से 

आचार्य शुक्ल की अनूदित कृति : आदर्श जीवन हिंदी की आधारशिला रखने में आचार्य रामचंद्र शुक्ल का योगदान ऐतिहासिक माना जाता है। उन्हें हिंदी के आलोचक,निबन्धकार और इतिहासकार के रूप…

गांधीजी के राम : एक सांस्कृतिक-विमर्श

अरुणाकर पाण्डेय रामनाम से गांधीजी का पहला परिचय उनकी धाय रंभा के कारण हुआ जिसने उन्हें बताया था कि भूतप्रेत का इलाज रामनाम है ।इस तरह देखें तो रामनाम का…