दर्द-ए-तन्हाईimage source meta ai

डा. संदीप (Dr.Sandeep)

dr sandeep

वो कुछ इस तरह उमड़ती घुमड़ती मेरी ज़िंदगी में आई थी 

जैसे तपती ज़मी की प्यास बुझाने बादलों ने ली अंगड़ाई थी..

उसकी बातें मेरे दिल-ओ-दिमाग़ पर कुछ इस कदर छाई थी

जैसे शाम की धुँधलाहट में चिराग़ की रोशनी जगमगाई थी..

उसकी पाकीज़ा-सीरत में अलग ही रूहानियत नज़र आई थी

जैसे मोहब्बत और इबादत मेरे ज़ेहन-ओ-दिल में समाई थी..

नज्मकार -पत्रकार, लेखक, विचारक व ब्लागर हैं

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