मुलाकात: भूतपूर्व मनुष्य से

meet-ex-personimage source ai

कहानी : मुलाकात: भूतपूर्व मनुष्य से

अरुणेश मिश्र

आज प्रातः एक भूतपूर्व मनुष्य से मुलाकात हो गई , उन्होंने कार रोकी और बात करने लगे , निकट की चाय की दुकान पर ले आए और हमसे कहा – कहो , कैसे हो ? हमने उत्तर में कहा – सब ठीक ठाक है लेकिन विकास का मेन गेट लाक है यानी जेबों में उंगलियां उदास हैं । यह सुनकर उन्होंने बताया आपकी जेबों में उंगलियां उदास हैं लेकिन दूसरों की जेबों में तो नहीं हैं इसलिए आप दूसरे की जेब को अपनी जेब समझो और आप उसी से अपना काम चलाओ । तब तक चाय आ गई , चाय पीते पीते हमने कहा – क्या बात कर रहे हो , कहीं दूसरे की जेब को अपनी जेब समझा जाता है , अपनी मेहनत से जो मिले वही अपना है इसके अलावा जो है वह बेईमानी है , मानवता विरोधी है ।

यह सुनकर उन्होंने बताया कि जबसे हमने मानवता छोड़ी है तबसे हमारा भविष्य , वर्तमान आसमान छू रहा है । हमारे कृत्यों से पशु भी प्रेरणा लेते हैं ; राक्षसों के गिरोह के गिरोह  हमसे कहते हैं  कि अपने साथ हमे भी रखिए , कुछ सीख जायेंगे तो आपके भी काम आयेंगे । उनकी बातों को सुनकर हमने कहा इसके मतलब आप भूतपूर्व मनुष्य हैं लेकिन वर्तमान में बहुत कुछ हैं ।

लेखक हिंदी के ख्यातिलब्ध साहित्यकार हैं और सीतापुर इंटर कॉलेज के प्राचार्य रह चुके हैं.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *