शिव स्तुति
अज विभु व्यापक अनादि अनंता, त्रिभुवन विदित शंभु मुनि संता रमेश कुमार मिश्र अज विभु व्यापक अनादि अनंता, त्रिभुवन विदित शंभु मुनि संता पर्वत नदियाँ तेरी माया, कोटि सूर्य सम…
अज विभु व्यापक अनादि अनंता, त्रिभुवन विदित शंभु मुनि संता रमेश कुमार मिश्र अज विभु व्यापक अनादि अनंता, त्रिभुवन विदित शंभु मुनि संता पर्वत नदियाँ तेरी माया, कोटि सूर्य सम…
शांतवन है क्लांतमन दिग्भ्रान्त तन है तुम नहीं हो ! अरुणेश मिश्र शांतवन है क्लांतमन दिग्भ्रान्त तन है तुम नहीं हो ! साथ किसके रह रही हो ? तुम हमारे…
प्रस्तुत आरती प्रभु के प्रति श्रद्धा व्यक्त करती है ठाकुर प्रसाद मिश्र आरती किस मुख से प्रभु गाऊं ? गर्भ त्रास भयभीत मुरारी हर पल तुम्हें मनाऊं || भजन हेतु…
जियो ऐसे की तुम खेल रहे हो अरुणाकर पाण्डेय जियो ऐसे की तुम खेल रहे हो अवसर आएंगे और जाएंगे कभी हताशा में डूबोगे तो फिर उत्साह की बयार भी…
वृक्ष हमारी प्रकृति के श्रृंगार हैं. संपूर्ण धरा इन वृक्षों से सुसज्जित रहती है. प्रस्तुत कविता में पर्यावरण की चर्चा हमें प्रकृति से जुड़ने को प्रेरित करती है ठाकुर प्रसाद…
हिंदी को राजभाषा बनाएं सत्येंद्र कुमार दूबे हिंदी को राजभाषा बनाएं, मिलकर सब इसे अपनाएं। इसके संग देश की रौनक बढ़ाएं, हिंदी से हर दिल को मिलाएं। शब्दों में इसकी…
आचार्य राकेश पाण्डेय एक राज्य के राजकुमार का स्वभाव बहुत उत्पाती था। राजा ने राजकुमार को सुधारने का बहुत प्रयत्न किया, परंतु हर बार असफल रहे। तभी उस राज्य में…
ठाकुर प्रसाद मिश्र नाम छोटा वृतांत बड़ा यहाँ यह उक्ति चरितार्थ होती है। जब हमारी वाणी से शिक्षक शब्दनिकलता है।शिक्षक यानी गुरु! प्रथम शिक्षा “गुरू” माता दूसरा पिता। उसके बाद…
अरुणाकर पाण्डेय एक प्रसिद्ध चुटकुला है । एक शिक्षक ने अपनी कक्षा में शिष्यों से पूछा कि बताओ अमरीका दूर है या चांद? एक बच्चे ने तुरंत उत्तर दिया कि…
शिक्षक पर “गुरू शतपथ है” श्री अरुणेश मिश्र द्वारा लिखित काव्य पंक्तियाँ जो गुरू के प्रति श्रद्धा भाव को जागृत करती है, सम्पादक मंडल के निर्णय से यह रचना प्रकाशित…