“शोहरत एक जेल है” : बियांसे

"Fame is a prison": Beyonce

अरुणाकर पाण्डेय

अरुणाकर पाण्डेय

शिखर पर पहुंचना एक बड़ी बात है लेकिन जब इंसान वहाँ स्थापित हो जाता है तो उसके सोचने का तरीका बदल जाता है |उसे जैसे अब और सफलता नहीं चाहिए होती और दुनिया से वह बच कर खुद को समय देना चाहता है | इस विचित्र सचाई का बहुत सटीक उदाहरण इन दिनों पश्चिम संगीत की दुनिया का एक बहुत बड़ा स्थापित नाम बियांसे हैं | उन्होंने जो हाल में कहा है उसका संज्ञान सभी को लेना चाहिए क्योंकि सब सफलता और नाम कमाने के पीछे भागते हैं और असाधारण प्राप्त करने कि होड़ में अपने भीतर के साधारण को मार देते हैं जिससे जीवन बजाय सहज होने के कहीं और अधिक कठिन होता चला जाता है | बियांसे ने कहा है “शोहरत एक जेल का एहसास देती है |” जब व्यक्ति एक बड़ा नाम कमा लेता है तब उसके पास धन और सुविधाओं की कमी नहीं रहती | लेकिन ऐसे हजारों उदाहरण मिलते हैं जब सफलता प्राप्त किये हुए लोग धीरे-धीरे अपनी शोहरत को ही अपना सबसे बड़ा दुश्मन बना लेते हैं | उन्हें लगने लगता है कि अब वे सब कुछ हैं लेकिन यहीं से उनकी बर्बादी की यात्रा शुर हिओती है | इसके उदाहरण स्वरुप आजकल उन पंजाबी गायकों को देखा जा सकता है जिन्होनें अपने समय के युवा के लिए एक ऐसी भाषा गढ़ी थी जो उन्हें यथार्थ से बहुत दूर ले गया | लेकिन जब वे खुद शोहरत और सफलता के नशे में घिर गए तो काफी अल्म्बे समय से अब भी उनको वापसी के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ रहा है |

लेकिन बियांसे की प्रशंसा इस बात के लिए करनी पड़ेगी कि वे अत्यधिक सफलता प्राप्त करने के बावजूद शोहरत, सत्ता और धन के प्रति यथार्थ दृष्टिकोण अपनाए हुए हैं जो बहुत राहत की सकारात्मक खबर है | उनके इस कथन को समझने की आवश्यकता है |उन्होंने यह कहा है कि जब वे इस जेल से बचना चाहती हैं तब वे रचनात्मकता की और बढ़ती हैं | उनका संगीत उन्हें राहत देता है और सहज बनता है | उन्होंने कहा है कि “जब आप मुझे रेड कार्पेट पर नहीं देखते तो मैं तब तक अदृश्य हो जाती हूँ जब तक मैं कोई नई रचना नहीं ले आती |” उनके भीतर का कलाकार जो सबको सीख दे रहा है कि प्रसिद्धि सही कारणों से ही होनी चाहिए | सफल होने के बाद आप गलत खबर के हिस्से नहीं होने चाहिए | इस दृष्टि से अगर भारत के सफल एवं लोकप्रिय कलाकारों का अध्ययन करें, विशेषकर सिनेमा और क्रिकेट जगत को ध्यान में रखते हुए तो पता चलेगा कि अधिकतर की सामाजिक उपस्थिति सिर्फ उनके काम के कारण नहीं है, बल्कि उनकी नकारात्मक खबरों के कारण भी वे याद किये जाते हैं | यह युवाओं के बीच चर्चा का विषय होना चाहिए कि जो लोग आज उनके रोल मॉडल हैं वे किस कारण से हैं ! क्या वे सिर्फ उनसे ही प्रेरणा लेते हैं या अपने विवेक का उपयोग करते हुए उनके काम गुणों और चरिते पर बारीक नजर रखते हैं | in प्रसिद्ध लोगों को लेकर इधर यह समझ भी बनी है कि वे एक बार सफल होने के बाद कई तरह के धंधों में भी भागीदारी करते हैं जो बहुत जल्दी पैसा कमाने के बड़े अवसर देती है | लेकिन बात वही है कि कुछ सीढियाँ चढ़ने के बाद वे छलांग लगाकर ऊपर पहुंचना चाहते हैं और उसके लिए वे जो कीमत चुका सकते हैं, चुकाते हैं ! इतिहास गवाह है न जाने कितने नामदार लोग इसी कारण हमेशा के लिए गुमनाम या तिरस्कृत हो गए |

"Fame is a prison": Beyonce
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बियांसे का मानना है कि शोहरत के दबावों के बावजूद वे अपनी कला से जुड़ी रहती हैं |गायन उनके लिए कोई व्यवसायिक कर्म नहीं है बल्कि वह उन्हें स्थिरता प्रदान करता है और सच्ची प्रसन्नता देता है | वे कहती हैं “जब मैं सर्वाधिक उदास होती हूँ, सशंकित होती हूँ, बीमार या चिंतित होती हूँ तब मैं गाती हूँ और अकसर मैं अकेले गाती हूँ |” उनके इन शब्दों में भी एक गहरा सौन्दर्य बोध है और वह यह है कि जब हम अपना मनपसंद काम पूरे ध्यान से करते हैं तो वह अपने आप में एक औषधि का काम करता है | इस अर्थ में कर्म उपचार का एक तरीका है जबकि हम अधिकतर सिर्फ और सिर्फ उसका आर्थिक या व्यावसायिक मूल्यांकन ही किये बैठे होते हैं | यह सीखने और सिखाने की आवश्यकता है जो यह प्रमाणित करता है कि कर्म का उद्देश्य सिर्फ उसका अंत ही नहीं है बल्कि उसकी यात्रा भी हमें कितनी  सार्थकता प्रदान करती है |ऐसे में लोक में प्रचलित यह दोहा देखिए

                         गोधन गजधन बाजिधन और रतन धन खान |

                          जब आवत संतोष धन सब धन धूलि समान ||

भारतीय जनमानस में रचा बसा यह दोहा जैसे बियांसे की ही बात का कोई पूर्वकथन है | चाहे जितना ही धन, ऐश्वर्य और सुख सुविधाएँ क्यों न मिल जाएँ, लेकिन जब मन को संतुष्टि मिलती ही तब उसकी अनुभूति से बड़ा कोई धन नहीं होता | संभवतः बियांसे ने इसी दोहे के मर्म को अपनी तरह से पश्चिम संगीत की ऐश्वर्यशाली दुनिया उअर जीवन जीते हुए पाया है जिसे आज भी दुनिया में प्रसिद्धि या यश प्राप्त करने वाले या प्राप्त कर चुके लोगों को साधारण जन के साथ समझना चाहिए |  

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