एक भूला हुआ पुराना टीवी धारावाहिक – ‘मशाल’
अरुणाकर पाण्डेय दृश्य मीडिया में हिंदी प्रोफेसर की गंभीर छवि कम ही प्रस्तुत की जाती है क्योंकि अक्सर उन्हें मजाकिया दृश्यों में बकवास करते हुए दिखाया जाता है। लेकिन रामानंद…
अरुणाकर पाण्डेय दृश्य मीडिया में हिंदी प्रोफेसर की गंभीर छवि कम ही प्रस्तुत की जाती है क्योंकि अक्सर उन्हें मजाकिया दृश्यों में बकवास करते हुए दिखाया जाता है। लेकिन रामानंद…
ठाकुर प्रसाद मिश्र वंजर मरुभूमि का भी उच्च भाल हो गया । श्वेत पंख ओढ कैक भी मराल हो गया । कागज के फूल में सुगंधि इत्र की बसी प्रकृति…
अरुणाकर पाण्डेय मुझे अमिताभ बच्चन (सुकुमार) और धर्मेंद्र जी (परिमल) की जोड़ी ‘शोले’ की तुलना में ‘चुपके-चुपके’ (1975) में अधिक पसंद आई (जय और वीरू के प्रति सम्मान के साथ)।…
अरुणाकर पाण्डेय वे ठिकाने जहां पिछली सदी में आलोचक फैले हुए मिलते थे और सत्ता के लिए प्रति संस्कृति थे अब केवल एक बुलंद इमारत भर ही रह गए कविता…