अरुणाकर पाण्डेय

दृश्य मीडिया में हिंदी प्रोफेसर की गंभीर छवि कम ही प्रस्तुत की जाती है क्योंकि अक्सर उन्हें मजाकिया दृश्यों में बकवास करते हुए दिखाया जाता है। लेकिन रामानंद सागर की रामायण में भगवान राम का चरित्र निभाने वाले प्रसिद्ध अभिनेता अरुण गोविल ने ‘मशाल’ नाम से एक सीरियल बनाया था जो दूरदर्शन पर आता था। इस कहानी में वे एक कॉलेज के हिंदी प्रोफेसर बने थे जो न सिर्फ एक गंभीर शिक्षक हैं बल्कि भारत की आजादी के लिए जेल भी जाते हैं ।इसके साथ ही वे भ्रष्टाचार के खिलाफ भी कड़े कदम उठाते हैं और काफी उम्मीदें जगाते हैं। अरुण जी इस रोल में जबरदस्त थे और इस फोटो में उन्हें हिंदी साहित्यकार माखनलाल चतुर्वेदी की मशहूर कविता पुष्प की अभिलाषा पढ़ाते हुए दिखाया गया है, जो आज भी मन में कहीं न कहीं मौजूद है। इस सीरियल में उनका नाम अजय था। भगवान राम और ‘चाँद जैसे मुखड़े पर बिंदिया सितारा’ की मधुर स्मृति के अलावा इस भूमिका को लुप्त नहीं होना चाहिए था और विस्मृत नहीं किया जाना चाहिए था लेकिन समय के प्रवाह में ये किरदार और सीरियल दोनों ही भुला दिए गए । इस धारावाहिक के कुछ भाग आज भी यूट्यूब पर उपलब्ध हैं,जिन्हें देखा जा सकता है। आज जब कई चैनलों पर आने वाले धारावाहिक देखे जाते हैं तो भले ही उन्हें समकालीन उपज कह दिया जाए लेकिन वे फिर भी दर्शक को कोई रचनात्मक संतुष्टि नहीं देते बल्कि उसे भी एक ऐसे उपभोक्ता में परिवर्तित कर देते हैं,जिसकी प्यास बनी रहती है । लेकिन यदि एक बार मशाल जैसे सीरियल को देखा जाए तो यह कहा जा सकता है कि गंभीर और संवेदनापूर्ण दर्शक का निर्माण करने की क्षमता टीवी में भी हो सकती थी।
लेखक —दिल्ली विश्वविद्यालय में हिंदी के प्राध्यापक हैं.