साथ दो यदि तुम प्रिये तो

साथ दो यदि तुम प्रिये तोimage source meta AI

प्रणय के गीत

ठाकुर प्रसाद मिश्र

साथ दो यदि तुम प्रिये तो हम क्षितिज के पार जायें

हाथ दो तो चन्द्र तारक गोंद ले लोरी सुनाएं

जगमगाती वह प्रभा जो स्वर्ण की चादर विछाती

भर उसे खद्योत उर हर यामिनी जगमग बनायें

स्नेह सिंचित भाव जल से अमिय प्रस्तर कृपण शशि का

तरल कर दे निज धरा को कष्ट सब इसका मिटायें

तारकों की ज्योति ऊर्जा से हृदय का कलश भरकर

निविडन तम को दे विदाई भास्कर का ॠण चुकाएं

खींचकर आतप धरा का सिन्धु के जल में डुबोकर

शुभ्र ज्योतसना में शशि के तब प्रणय के गीत गायें

रचनाकार हिंदी के प्रतिष्ठित साहित्यकार हैं.

प्रकाशित हिंदी उपन्यास “रद्दी के पन्ने”

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