रमेश कुमार मिश्र
राम नहीं हैं आग सुनो, हैं राम ऊर्जा धारा |
पिंड- पिंड में राम विराजें, है ब्रहमाण्ड राममय सारा ||
विंदु राम हैं, सिंधु राम हैं, राम हैं सरयू धारा |
राम आदि हैं राम अनादि हैं, हैं राम सनातन आधारा ||
राम भाव हैं राम प्रभाव हैं राम हैं वेद आधारा |
कोमल चित्त राम हैं बसते, करते दुष्ट हृदय संहारा
राम चरण में शीश नवाऊं, करहु राम मोहिं भव पारा ||
रचनाकार- एम. ए. हिंदी व पी.जी. हिंदी पत्रकारिता डिप्लोमा दिल्ली विश्वविद्यालय दिल्ली से.