कविता

अपना दर्द नहीं लिख पाता

अरुणेश मिश्र अपना दर्द नही कह पाया सबका दर्द सदा गाया है । जब देखी वेदना विश्व की लगा हर व्यथा में माया है । चिंतन में जो व्यस्त बहुत…

तिरंगा

रमेश कुमार मिश्र खिली है फूलों से मेरी धरती सुंदर सुहानी, अंबर चूमे इस माटी को लेकर मीठा पानी, भारवि, दंडी ,कालिदासा ,बाल्मीकि विज्ञानी, संत कबीरा, तुलसीदासा ,मीरा दिवानी, भाई…

विकास आजतक 

ठाकुर प्रसाद मिश्र आदर्शों की चिता जल रही, संस्कृति लूट रहे मतवाले. जिसको नंदन वन समझा था, सारे फूल हैं काले – काले . जयकारों में चीत्कार है, ज्वलनशील बन…