हिंदी जगत

मैं रामचरितमानस हूं !

रामचरितमानस वैशिष्ट्य ठाकुर प्रसाद मिश्र मैं रघुवर का चरणामृत हूं, अवधी हिंदी श्रृंगार हूं मैं | मैं नहीं पथिक का बट गायन, वाणी वीणा झंकार हूं मैं || जो अपसंस्कृति…

निर्धन पुरुष का त्याग वेश्या भी कर देती है –आचार्य चाणक्य 

निर्धन पुरुष का त्याग वेश्या भी कर देती है रमेश कुमार मिश्र निर्धनं पुरुषं वेश्या प्रजा भग्नं नृपं त्यजेत्. खगाय: वीतफलं वृक्षं भुक्त्वा चाभ्यागतो गृहम् भारतीय मनीषा के परम पंडित…

कबीरदास और प्रेम का रहस्य

कबीरदास और प्रेम का रहस्य अरुणाकर पाण्डेय क्या सचमुच हम प्रेम को जानते हैं ! क्या वह कोई ऐसा भाव है जो सुनने में तो बहुत अधिक है और जिसकी…

एक यात्रा 

अरुणेश मिश्र पहले हम जनसेवी हुए संकल्पवान हुए फिर जननायक हुए स्वागत सम्मान हुआ वह सोना हो गया जिसे जिसे छुआ हमारे आसपास बहुत सी गायिका हुईं गायक हुए हमको…

भूत की तरह बेकाबू मन की दवा : गिरिधर कविराय

अरुणाकर पाण्डेय आज भारत और दुनिया में मानसिक रोग और उनके उपचार के लिए मनोवैज्ञानिक और मनोचिकित्सकों की मांग बढ़ रही है । लेकिन यदि हम अपने एक प्रसिद्ध मध्यकालीन…

सेल्फी नेपथ्य की 

समय के षडयंत्रो के साथ खड़े होकर अरुणेश मिश्र समय के षडयंत्रो के साथ खड़े होकर अपनी औकात से ज्यादा बड़े होकर हम भी लेंगे सेल्फी जबरन खिचवाएँगे उनके साथ…

बादल, चांद और कवि 

अरुणाकर पांडेय एक ऐसा बादल था जिसे अपने जीवन से घृणा थी ।इसका कारण उसका यह मानना था कि उसका जन्म संसार की जलने वाली वस्तुओं के ताप के कारण…