कविता

तिरंगा

रमेश कुमार मिश्र खिली है फूलों से मेरी धरती सुंदर सुहानी, अंबर चूमे इस माटी को लेकर मीठा पानी, भारवि, दंडी ,कालिदासा ,बाल्मीकि विज्ञानी, संत कबीरा, तुलसीदासा ,मीरा दिवानी, भाई…

विकास आजतक 

ठाकुर प्रसाद मिश्र आदर्शों की चिता जल रही, संस्कृति लूट रहे मतवाले. जिसको नंदन वन समझा था, सारे फूल हैं काले – काले . जयकारों में चीत्कार है, ज्वलनशील बन…

साथ दो यदि तुम प्रिये तो

प्रणय के गीत ठाकुर प्रसाद मिश्र साथ दो यदि तुम प्रिये तो हम क्षितिज के पार जायें। हाथ दो तो चन्द्र तारक गोंद ले लोरी सुनाएं। जगमगाती वह प्रभा जो…