विहारिका
रमेश कुमार मिश्र मैं उन्मुक्त गगन की हूँ मलिका नभ विचरण है अभिसार मेरा. मैं पुण्य धरा की नवल किशोरी , है प्रकृति पुष्प श्रंगार मेरा. मैं पुरुष हृदय की…
रमेश कुमार मिश्र मैं उन्मुक्त गगन की हूँ मलिका नभ विचरण है अभिसार मेरा. मैं पुण्य धरा की नवल किशोरी , है प्रकृति पुष्प श्रंगार मेरा. मैं पुरुष हृदय की…
रमेश कुमार मिश्र वर्ष बीस रहे संग हम साथिया. उलझनों ने हमें फासला दे दिया. कौन था फिर सही कौन था फिर गलत. ए कहने का हमको हौसला दे दिया.…
रश्मि विभा त्रिपाठी हमेशा देखती हूँ मैं हवा के हाथों में धूप की परछाईं में झील के शीशे में शिखर की अंगड़ाई में जाह्नवी के द्वारे जुन्हाई के तेज बल्बों…
रमेश कुमार मिश्र मैं सस्ता सा आशिक तेरा तू महंगी महबूबा है. तेरा खर्च मैं कैसे उठाऊं सोच में ए दिल डूबा है. बापू से जब पैसे मांगू मुझको आंख…
विशाखा गोयल इन हवाओ में छोड़ा था जो तुझ तक वो पैगाम पहुंचा क्या ?! सरे-आम किया था, याद है? तुझ तक वो ऐलान पहुंचा क्या ?! पन्नो में सिमटा…
संजीव गोयल ‘मै और मेरा’ की भावना इंसानों में होती है कितनी प्रबल ‘मै और मेरा’ से ही मिलता है लोगों को जीवन में संबल, ‘मै’ की चादर ओढ़ कर…
ठाकुर प्रसाद मिश्र शांत सुस्थिर जन मानस में उठती आज हिलोरें । कांप रहे स्तंभ गगन के अवनि खडी कर जोरे ।। युग-युग से वाडव की ज्वाला सागर छाती दहती…
ठाकुर प्रसाद मिश्र वंजर मरुभूमि का भी उच्च भाल हो गया । श्वेत पंख ओढ कैक भी मराल हो गया । कागज के फूल में सुगंधि इत्र की बसी प्रकृति…
अरुणाकर पाण्डेय वे ठिकाने जहां पिछली सदी में आलोचक फैले हुए मिलते थे और सत्ता के लिए प्रति संस्कृति थे अब केवल एक बुलंद इमारत भर ही रह गए कविता…
डॉ सत्येन्द्र सत्यार्थी है निशा जिंदगी, जागरण हैं पिता, हर तरक्की के अंतःकरण हैं पिता। जिंदगी मुश्किलों ठोकरों से भरी, उनसे बचने का दृढ़ आवरण हैं पिता। कष्ट-ग़म के हलाहल…