टीम कहानी तक
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि भारत में दीक्षान्त समारोह के अवसर पर डिग्री प्राप्त करने वाले छात्र एक विशेष तरह का काला गाउन और टोपी पहनते हैं. यूरोप ने मध्य युग में इस पोशाक की परंपरा को शुरू कर अपने समस्त उपनिवेशों में लागू करा दिया था . तब से लेकर आजादी तक और अब तक हम उसी कोट को और टोपी को धारण कर अपने आप के पढ़े लिखे होने का प्रमाण पत्र प्राप्त करते आ रहे हैं.
भारत के केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक आदेश जारी कर कहा कि देश के सभी मेडिकल संस्थान अपने – अपने राज्य के लिए विशेष भारतीय परिधान तैयार करावें. और आने वाले समय में प्रत्येक दीक्षान्त समारोह उसी पोशाक में आयोजित किया जाएगा .
भारतीय संस्कृति के लिए यह एक अच्छी एक अच्छी खबर है. इससे एक तरफ जहाँ भारतीय परिधान में डिग्री लेते छात्र नजर आएंगे तो दूसरी तरफ स्थानीय के प्रति आत्मविश्वास में बढोत्तरी भी होगी तथा भारतीय परिधान के दुनिया के लोगों के आकर्षण का केंद्र बनेगें.भारतीय परिधान के प्रति एक विशेष लगाव भी बढेगा.
आजकल जब सर्वौच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश आदरणीय डी वाई चंद्रचूड़ कानून की पढ़ाई कराने वाले विश्वविद्यालयों से कह रहे हैं कि वे अपने यहाँ स्थानीय भाषा में कानून की पढ़ाई कराएं. तब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का यह फैसला देशव्यापी असर डालेगा.
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