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“टीम कहानी तक”–सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और सुप्रीम कोर्ट बार एसोशियेशन के आठ बार के पदाधिकारी रह चुके रोहित पांडेय ने समस्त देशवासियों को श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं दिया है.
रोहित पांडेय जो एक अधिवक्ता होने के साथ – साथ कर्मठ समाजसेवी भी हैं. अपने जीवन का अधिक से अधिक समय वे समाज के जरूरत मंदों की सेवा में ही देते हैं.
रोहित पांडेय कहते हैं कि श्री कृष्ण धर्म के रक्षक थे और उसकी स्थापना के लिए ही बार – बार नारयण मनुष्य के अवतार में जन्म लेते हैं और आततायियों से धरा को मुक्त कराकर पुनः पुनः धर्म की स्थापना करते हैं.
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत ।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ।।
परित्राणाय साधूनाम् विनाशाय च दुष्कृताम् ।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ।।
रोहित पांडेय कहते हैं कि श्रीकृष्ण को अपने जीवन में धर्म की स्थापना के लिए बहुत लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी थी . श्री कृष्ण जब जन्म लेते हैं तब उनके माता – पिता कारागार में थे. सबसे पहली चुनौती उनके जीवन की अपने माता- पिता को कारागार से मुक्ति दिलाने की थी. कंस जिसके आतंक से समाज में धर्म क्षीण हो रहा था उसके आतंक से समाज को भय मुक्त कराकर धर्म की स्थापना करना था.
रोहित कहते हैं मैत्री से बढ़कर कोई धर्म नहीं. श्री कृष्ण ने अर्थ से कमजोर ब्राह्मण सुदामा के साथ मित्रता धर्म का जो आदर्श उपस्थित किया है धरती पर उसका सानी कुछ और नहीं.
दुष्ट दुशासन जब द्रोपदी का चीर हरण करने की चेष्टा कर रहा था तभी चीर बढाकर द्रोपदी की लाज बचाकर श्री कृष्ण ने समाज को संदेश दिया कि जब – जब कोई दुशासन पैदा होगा तो हर पल हर कण में विद्यमान श्री कृष्ण उसके पापों का दंड देने के लिए होंगे ही .
अति महत्वाकांक्षा सदैव उद्दंडता को जन्म देती है दुर्योधन इसी का प्रतीक था. जो सब कुछ हड़प लेने को तत्पर था जिसे कुछ भी गलत नहीं लगता था . उसका अंत कराकर श्री कृष्ण यह स्थापित करते हैं कि सभी को अपने हिस्से का पाने का हक है.
रोहित कहते हैं कि श्रीकृष्ण के जीवन से हमें यही शिक्षा मिलती है कि सद्मार्ग पर चलना ही आनंद का मार्ग है.