
सुन आंसू पहलगाम के जो तूने हमें दिए हैं ।
अब तुझसे है वादा कि बुझने तयं तेरे दिये हैं ।।
हम रार के नहीं हैं पक्षधर शांति पूजते हैं ।
हमको जब है कोई छेडे तो छोडते भी नहीं हैं ।।
हर इक सुहागिन के सुहाग का मोल यहाँ है
तू भाग देखें हम भी तेरी जमीन कहां तलक है।।
ऐ नापाक तेरी पहचान अब दुनिया से मिटेगी ।
मंजरे मौत की तेरी तबाही अब दुनिया भी देखेगी ।।
सुन रेत मुट्ठी में लेकर दीवारें नहीं बना करतीं ।
कत्ल मानवता करके सरकारें नहीं बना करतीं ।।
हिंदू हैं हम गर्व है हमको ।
सनातनी हैं हम फक्र है हमको ।।
तेरी अवकात क्या है कि तू हिंदू को मारेगा ।
सनातन का है तुझसे वादा देखें तू अब कहां तक भागेगा ।।
लेखक- दिल्लीविश्वविद्यालय दिल्ली से हिंदी में परास्नातक व हिंदी पत्रकारिता परास्नातक डिप्लोमा हैं