उद्घोष पहलगाम केimage source meta ai
Ramesh Mishra

सुन आंसू पहलगाम के जो तूने हमें दिए हैं ।

अब तुझसे है वादा कि बुझने तयं तेरे दिये हैं ।।

हम रार के नहीं हैं पक्षधर  शांति पूजते हैं ।

हमको जब है कोई छेडे तो छोडते भी नहीं हैं ।।

हर इक सुहागिन के सुहाग का मोल यहाँ है

तू भाग देखें हम भी तेरी जमीन कहां तलक है।।

ऐ नापाक तेरी पहचान अब दुनिया से मिटेगी ।

मंजरे मौत की तेरी तबाही अब दुनिया भी देखेगी ।।

 सुन रेत मुट्ठी में लेकर दीवारें नहीं बना करतीं ।

 कत्ल मानवता करके सरकारें नहीं बना करतीं ।।

 हिंदू हैं हम गर्व है हमको ।

 सनातनी हैं हम फक्र है हमको ।।

तेरी अवकात क्या है कि तू हिंदू को मारेगा ।

सनातन का है तुझसे वादा देखें तू अब कहां तक भागेगा ।।

लेखक- दिल्लीविश्वविद्यालय दिल्ली से हिंदी में परास्नातक व हिंदी पत्रकारिता परास्नातक डिप्लोमा हैं

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