इश्क़

रमेश कुमार मिश्र मैं शहर जो बना तेरे ऐतबार में.तुम शहर छोड़कर यूँ चले क्यों गए? कोई शिकवा नहीं जुस्तजू भी नहीं.यूँ चले भी गए तो कहाँ जाओगे? रोशनी शाम…

प्रेमचंद जी का प्रसाद जी के नाम पत्र

अरुणाकर पाण्डेय एक लम्बे अरसे से विश्व में बनारस के दो कालजीवी साहित्यकार जयशंकर प्रसाद और प्रेमचंद जी के रचनात्मक दृष्टिकोण के अंतर को लेकर विद्वानों,साहित्यकारों, चिंतकों और पाठको में…

शिवस्तुति

ठाकुर प्रसाद मिश्र रजनी अभिलाषिनि सोम सुधा.विभु ने जेहि मस्तक मान दियो है। नित भागीरथी अभिषेक करैं.शशि ने तेहिअमृत दान कियो है। अकुलानि निशा उर ग्लानि महा.तम वस्त्र कलेवर तानि…

संपादकीय

www.kahanitak.com आपको बताते हुए हमें हर्ष हो रहा है कि हम आपके बीच सोशलमीडिया प्लेटफार्म पर “कहानी तक”(www.kahanitak.com) का शुभारंभ कर रहे हैं. कहानी तक एक पहल है उस सांस्कृतिक…

एफ. आई. आर.

जो बिकने लगा वह किसी एक का होकर नहीं रहता है रमेश कुमार मिश्र मुर्गे की पहली बांग के साथ रामू काका जाग जाया करते थे.उनके पास एकमात्र गाय थी.सुबह…