अति सीधे हैं तो कट जाएंगे

अति सीधे हैं तो कट जाएंगेimage sorce google

रमेश कुमार मिश्र

Ramesh Mishra

नात्यन्तं सरलैर्भाव्यं गत्वा पश्य वनस्थलीम् |

छिद्यन्ते सरलासत्र कुब्जास्तिष्ठन्ति पादपा: ||

आचार्य चाणक्य का मानना है कि जो व्यक्ति बहुत सीधे स्वभाव का होता है  समाज में उसके लिए अपराधी फरेबी  व विलासी किस्म के लोग तरह की साजिश रचते हैं और उसका मजाक भी उड़ाते हैं. उनका मानना है कि जो जितना भोला  होता है लोग उसका उतना फायदा उठाते हैं अर्थात शोषण करते हैं.

आचार्य चाणक्य उदाहरण देते हुए बताते हैं कि यदि इस बात का प्रमाण देखना है तो आप जंगल चले जाइए और वहाँ आप देखेंगे कि जो सबसे सीधा पेड़ होगा उसी पर आरी या कुल्हाड़ी सबसे पहले चलेगी कारण कि एक तो उसे आसानी से काटकर किसी इच्छित दिशा में गिराया जा सकता है . वहीं यदि कोई पेड़ आड़ा तिरछा अर्थात टेढ़ा-मेढ़ा है होगा तो उस पर लोग हाथ नहीं लगाते हैं अर्थात उसे भाव नहीं देते हैं मतलब काटते नहीं छोड़ देते हैं.

सारांश रूप में हम देखें  आचार्य चाणक्य मनुष्य  स्वभाव के बारे में बात करते हुए बता रहे हैं कि एक व्यक्ति जो समाज और देश का हिस्सा है अपने देश काल और परिस्थिति के प्रति जागरूक रहना चाहिए. वह व्यक्ति जिस समाज में रह रहा है उसे समाज के अच्छे बुरे लोगों व अच्छी बुरी चीजों का ज्ञान अवश्य रखना चाहिए ताकि फरेबियों के हाथ मूर्ख न बनना पड़े.

आचार्य चाणक्य  बहुत बड़े नीतिज्ञ के रूप में ,हमारे मध्य स्थापित हैं उनके इस कथन को आत्मसात करते हुए हमें सदैव अपने अस्तित्व के बारे में जागरूक व सजग रहना चाहिए.

लेखक- दिल्ली विश्वविद्यालय से  एम. ए. हिंदी व पी. जी हिंदी पत्रकारिता डिप्लोमा हैं.

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