ग़ज़ल

तेरी मुस्कुराहट ही मेरा सुकून…

डा. संदीप (Dr.Sandeep) तेरे चेहरे पर हँसी देख कर मैं भी मुस्कुराता हूँ ज़िंदगी की सारी परेशानियाँ यूँ ही भूल जाता हूँ.. — वैसे तो रोज़ाना रूबरू होते हैं चहेरे…

जिन्दगी की यही रीत है….

डा.संदीप (Dr.Sandeep) मिलना बिछड़ना फ़िर किसी से मिलना सिर्फ़ बहाना है ज़िंदगी की यही रीत क़िस्मत का लिखा क़िस्सा पुराना है…. मानता हूँ आसान नहीं किसी की यादों को यूँ…

दर्द-ए-तन्हाई

डा. संदीप (Dr.Sandeep) वो कुछ इस तरह उमड़ती घुमड़ती मेरी ज़िंदगी में आई थी जैसे तपती ज़मी की प्यास बुझाने बादलों ने ली अंगड़ाई थी.. — उसकी बातें मेरे दिल-ओ-दिमाग़…

किताब-ए-ज़ीस्त…

डा. संदीप ( Dr.Sandeep) मेरे ख़्यालों और ख़्वाबों की दुनिया सुकूँ देती है ये किताबों की दुनिया.. फ़लसफ़ा ज़िंदगी का इन्हीं से सीखा अंधेरों से निकाले चराग़ों की दुनिया.. पर…

लब- ए- ख़ामोश

डा. संदीप लब-ए-ख़ामोश से जो अफ़साने बयाँ न हुए कभी आईना-ए-निगाह दिल के सारे फ़साने कह गए अगर तुम न बताना चाहो तो मत बताना किसी को नज़्मकार -पत्रकार, लेखक,…

नूर-ए-महताब

डाक्टर संदीप आज फिर चेहरे पर उसके शादाब देखा खुली निग़ाहों से दिलकश ख़्वाब देखा.. थम गया नज़र में मेरी ये मंज़र सारा जब सड़क पर चलता नूर-ए-महताब देखा..!! वो…

इश्क़

रमेश कुमार मिश्र मैं शहर जो बना तेरे ऐतबार में.तुम शहर छोड़कर यूँ चले क्यों गए? कोई शिकवा नहीं जुस्तजू भी नहीं.यूँ चले भी गए तो कहाँ जाओगे? रोशनी शाम…