अरुणाकर पाण्डेय
बड़ा पुराना मुद्दा है कि क्या किसी के काम को यदि बहुत पसंद किया जाए और साथ ही वह एक अपराधी भी हो तो उसे पुरस्कृत करना चाहिए या नहीं !
ताजा मामला दक्षिण के नृत्य निर्देशक शेक जानी बाशा का है जिन्हें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्रदान किया जाना था लेकिन जब उन पर एक नाबालिग से यौन उत्पीड़न का गंभीर आरोप लगा तब वह पुरस्कार और उसके आयोजन के निमंत्रण निरस्त कर दिए गए हैं। विगत 19सितंबर को उन्हें गोवा से साइबराबाद की पुलिस ने गिरफ्तार किया था और पिछले हफ्ते उन्हें इस आयोजन में भाग लेने के लिए जमानत भी दी गई थी। यह अपराध उन्होंने 2020 में अपनी सहायक नृत्य निर्देशिका के साथ तब किया था जब वे नाबालिग थीं।
एक महत्त्वपूर्ण बात यह भी है कि इसी कारण अब 2022 का बेस्ट कोरियोग्राफर पुरस्कार भी स्थगित कर दिया गया है यानी वह अब किसी को नहीं दिया जाएगा। लेकिन यदि चयनकर्ता और संस्था चाहते तो शायद इस स्थिति से बचा जा सकता था लेकिन अब तो यह दाग लग चुका है कि जो गंभीर अपराध का आरोपी है उसे पुरस्कृत कर दिया गया है। क्या यह संभव है कि संस्था और चयनकर्ता को इस मामले का संज्ञान न रहा हो,विशेष कर तब,जब कि गोवा से इसी मामले के लिए उनकी गिरफ्तारी हुई । यदि इस बात को नोटिस में लिया जाता तो यह पुरस्कार स्थगित नहीं करना पड़ता और संभवतः यह किसी और को दिया जा सकता था ।
यह पुरस्कार स्थगित करना बता रहा है कि महत्वपूर्ण लोगों ने या तो विषय का संज्ञान नहीं लिया या फिर उनके लिए स्त्री उत्पीड़न का मुद्दा कोई मायना नहीं रखता।दोनो ही स्थिति दुर्भाग्यपूर्ण कही जाएंगी । हालांकि यह कहा जा सकता है कि समय रहते उचित कदम उठा लिए गए हैं क्योंकि आरोपी को पुरस्कार नहीं दिया गया है । लेकिन सोचना तो यह है कि एक प्रकार से उनका नाम घोषित करके उन्हें मदद ही दी गई है । इसके साथ ही पुरस्कार स्थगित करके किसी अन्य प्रतिभाशाली को अकारण रोक दिया गया है जो कि एक अन्य प्रकार का उत्पीड़न है।