अरुणाकर पाण्डेय

अरुणाकर पाण्डेय

पहली बार यह खबर पढ़ कर विश्वास नहीं हुआ कि यह एक सच्ची  खबर है । नई दिल्ली के द्वारका में पुलिस ने एक मोबाइल चोर को घात लगा कर पकड़ लिया । लेकिन जब उससे पूछताछ हुई तो उसने चोरी करने का जो कारण बताया वह हतप्रभ करने वाला है। उस चोर ने खुलासा किया है कि उसने अपने दोस्त के साथ प्रयागराज में महाकुंभ जाने की योजना बनाई थी लेकिन उसके पास खर्च के लिए पर्याप्त धन नहीं था । इसलिए उसने चोरी का रास्ता अपनाया और मोबाइल चुराकर उसके पैसे से अपनी महाकुंभ की यात्रा पूरी करने की योजना बनाई। लेकिन आखिरकार वह पुलिस के द्वारा पकड़ लिया गया और उसके पास कुछ चुराए हुए फोन भी बरामद हुए हैं । प्रसिद्ध समाचार पत्र नवभारत टाइम्स में प्रकाशित इस खबर में यह नहीं लिखा गया है कि इस चोर की उम्र कितनी है । यदि उम्र लिख देते और उसके परिवार की सूचना भी दे देते तो यह समझने में आसानी हो सकती थी कि चोरी करके पैसा कमाकर महाकुंभ जाने की जरूरत क्या थी ! 

लेकिन इससे यह प्रश्न तो उठता है कि क्या महाकुंभ में जाने के लिए अच्छे खासे खर्च की आवश्यकता पड़ती है जो कि आम आदमी के लिए थोड़ा कठिन है । इसके जवाब यह हो सकता है कि यह इस पर निर्भर करता है कि कोई कितनी सुविधाओं का वहन करना चाहता है । वह बहुत महंगा भी हो सकता है और साधारण भी । लेकिन इस समाचार ने यह प्रश्न पैदा कर दिया है कि क्या महाकुंभ इतना खर्चीला हो सकता है कि एक व्यक्ति को वहां जाने के लिए चोरी करने की आवश्यकता पड़ गई ।

अखबार ने यह शंका नहीं की है कि यह व्यक्ति चोरी करने का गलत कारण बता रहा है । खबर से तो यह समझ बनती है कि यह कारण सच है क्योंकि अखबार ने इसे प्रत्यक्ष लिखा है । इसका यह अर्थ होता है कि अखबार इसकी पुष्टि करता है ।

महाकुंभ की तमाम खबरों में धर्म,राजनीति,संस्कृति  और व्यापार के एंगल देखने को मिल रहे हैं। लेकिन यह अपने तरह की अनूठी खबर है कि महाकुंभ के लिए एक व्यक्ति चोरी कर रहा है। अगर इससे यह समझ बनती है कि महाकुंभ संगीन अपराध का कारण बन रहा है तो यह भयानक स्थिति है । महाकुंभ जाने में किसी को भी कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए लेकिन क्या वहां जाने के लिए अपराध से पैसा कमाने  का समर्थन किया जा सकता है ! इस दृष्टि से भी सरकार,समाज और संस्थानों को सोचना चाहिए जिससे ऐसी प्रवृत्ति पर लगाम लगाई जा सके और कोई बेहतर व्यवस्था बनाने के लिए सोचना चाहिए। चोर को या ऐसी मानसिकता के लोगों को भी मनोचिकित्सक को दिखाने की आवश्यकता है। पर यह भी लगभग तय है कि ऐसे समाचारों का कोई फॉलो अप नहीं मिलेगा जिससे आगे  की कारवाई और अन्य  पक्षों को जाना जा सके । यह बड़े महत्व की खबर है क्योंकि इसमें एक साधारण व्यक्ति के अपराधी बनने के सूत्र मिल सकते हैं । लेकिन अनुभव कहता है कि यह होगा नहीं ।

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