भारतीय भाषाओं में हो विधि शिक्षण : जस्टिस डी.वाई. चन्द्रचूड़

अरुणाकर पाण्डेय            

हाल ही में भारत के मुख्य न्यायधीश श्री डी.वाई. चन्द्रचूड़ ने एक उद्बोधन में यह विचार व्यक्त किया है कि भारतीय भाषाओं में विधि के शिक्षण से उसकी उपलब्धता में सुधार आएगा | उनका यह स्पष्ट मानना है कि क्षेत्रीय भाषाओं में विधि की शिक्षा का प्रबंध होना चाहिए| उन्होंने ये उद्गार लखनऊ में राम मनोहर लोहिया नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में दीक्षांत समारोह के अवसर पर इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायधीश श्री अरुण भंसाली एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति में व्यक्त किए | जस्टिस चन्द्रचूड़ ने यह विचार इस समय व्यक्त किये हैं जब हाल ही में केंद्र सरकार ने 1 जुलाई से तीन नए आपराधिक कानून- भारतीय न्याय संहिता,भारतीय साक्ष्य अधिनियम और भारतीय नागरिक सुरक्षा अधिनियम लागू कर दिए हैं | इन अधिनियमों के नाम हिंदी में होने के कारण मद्रास हाई कोर्ट में भी इनके नामों को लेकर इनके विरुद्ध जुलाई के अंतिम सप्ताह में अपील की गई थी | उक्त केस में मद्रास हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को इस याचना पर अपना उत्तर देने के लिए कहा है | उक्त याचना में यह कहा गया था कि अहिंदी भाषाभाषी न्यायिक अधिकारियों को इससे समस्या होगी क्योंकि इन नामों से भ्रम और कठिनाई पैदा होंगे और इनके उच्चारण में भी कठिनाई होगी |

माननीय जस्टिस चन्द्रचूड़ जी की इस मांग का समर्थन वास्तव में देश भर की समस्त महत्वपूर्ण ऐतिहासिक संस्थाओं,न्यायिक अधिकारियों, विधिकर्मियों, शिक्षाविदों, साहित्यकारों और भाषाकर्मियों को करना चाहिए क्योंकि यह एक व्यावहारिक और जायज मांग है | लेकिन अभी तक इस मांग को जो समर्थन मिलना चाहिए था वह संभवतः गहरी नींद में सोने के कारण नहीं मिल रहा है | पहले भी अंग्रेजों के शासनकाल में बनारस की ऐतिहासिक संस्था नागरीप्रचारिणी सभा ने एक लम्बे आन्दोलन और संघर्ष के द्वारा अपने नेताओं की सूझबूझ से नागरी अक्षरों का प्रवेश अदालत में करवा लिया था | आज जब भारत के मुख्य न्यायधीश चन्द्रचूड़ जी ने इस बात का आह्वान किया है तो ऐसे में इसके महत्व को समझते हुए समस्त नागरिकों, भाषा संस्थानों और मीडिया संस्थानों को इस पर चर्चा करनी चाहिए और इसे लागू करवाने का लक्ष्य बनाना चाहिए | इसका कारण यही है कि इसका सबसे ज्यादा लाभ भारत की स्थानीय जनता को ही मिलेगा | जब हम अपनी भाषाओं में अपनी विधिक आवश्यकताओं को समझने में सक्षम होंगे तो निश्चित ही हम न्यायिक प्रक्रिया से अपना तादात्म्य बना पायेंगे और न्याय बेहतर होगा | जस्टिस चन्द्रचूड़ ने अपने व्यक्तव्य में आगे भी इसके लाभ पर चर्चा की है |  

माननीय न्यायधीश चन्द्रचूड़ जी ने कहा “मैं देश के शिक्षाविदों से अक्सर यह चर्चा करता रहता हूँ कि विधि को कैसे साधारण भाषा में पढ़ाया जा सकता है |” इसे आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि यदि आम साधारण भाषा में विधि के सिद्धांतों की व्याख्या सामान्य जनता को नहीं की जा सकती तो इसका अर्थ है कि विधिक शिक्षा और इस व्यवसाय में कमी है | भाषा की साधारणता का अभिप्राय यही है कि बोध और अभिव्यक्ति के स्तर पर कानून की सम्प्रेषणीय व्याख्या और समझ का विस्तार | जो विद्यार्थी अच्छी अंग्रेजी न जानने के कारण विषय को बेहतर नहीं समझ पाते, वे जब अपनी भाषा में इसे पढ़ेंगे तो उन्हें बहुत आसानी होगी | इसके साथ ही जनता को भी यह लाभ मिलेगा कि उसे अपने केस को जानने समझने का अवसर मिलेगा और कोई उसे आसानी से धोखे में नहीं रख सकता यदि अपनी स्वयं की भाषा में वह पढ़ेगी और समझेगी |

 जस्टिस चन्द्रचूड़ ने यह बिंदु उठाते हुए कि विधि का शिक्षण करते समय क्षेत्रीय भाषाओं का ध्यान रखना चाहिए,कहा “मुझे लगता है कि राम मनोहर लोहिया नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी को हिंदी में एल.एल.बी. कोर्स की शुरुआत करनी चाहिए | क्षेत्रीय मसलों से संबंधित कानूनों का शिक्षण भी हमारे विश्वविद्यालयों में होना चाहिए | उदाहरण के लिए, यदि कोई पास के गाँव से विश्विद्यालय के विधि सहायता केंद्र में भूमि से संबंधित समस्या लेकर आता है और विद्यार्थी ‘खसरा’ और ‘खतौनी’ जैसे शब्दों को नहीं समझता, तो वे कैसे उसकी मदद करेंगे ? इसलिए विद्यार्थियों को भूमि से संबंधित क्षेत्रीय कानूनों की शिक्षा देनी चाहिए|” यदि विधि शिक्षा से संबंधितपाठ्यक्रमइस विश्वविद्यालय में हिंदी में उपलब्ध हो जाएगा तो यह कम से कम हिंदी प्रदेश के विधि विद्यार्थियों के लिए एक नयी आशा तो जगाएगा ही लेकिन यह हिंदी भाषा और उसके इतिहास के लिए भी एक ऐतिहासिक मील का पत्थर साबित हो सकता है | जाहिर है कि यह सब क्लास तक सीमित नहीं रहेगा क्योंकि जैसा कि जस्टिस चन्द्रचूड़ जी ने विधि सहायता केंद्र का उदाहरण दिया है, उससे साबित होता है कि इससे विद्यार्थियों के अतिरिक्त आसपास की साधारण जनता को भी अप्रतिम लाभ मिल सकता है | देखना यह है कि विश्विद्यालय से की गई यह मांग एक सफल परिणाम तक पहुँचे और उसका उत्साह भी इस लक्ष्य को प्राप्त करने में बना रहे और सरकार तथा समाज का समर्थन उसे मिले |

उन्होंने आगे कहा कि मुख्य न्यायाधीश के रूप में, उन्होंने न्याय प्रक्रिया को अधिक सुलभ बनाने के लिए कई निर्देश दिए हैं | उदाहरण के लिए, अंग्रेजी में उपलब्ध सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों का संविधान में पारित भाषाओं में अनुवाद किया जा रहा है , जिससे जनता को इन निर्णयों की सामग्री का बोध मिल सकेगा| वर्तमान में सन 1950 से लेकर 2024 तक के सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों का अनुवाद हिंदी में किया जा चुका  है और यह सेवा समस्त नागरिकों को मुफ़्त में उपलब्ध है | अपने व्यक्तव्य में जस्टिस चन्द्रचूड़ ने जो यह सूचना साझा की है वास्तव में वे साधुवाद के अधिकारी हैं क्योंकि न्याय के साथ ही साथ और हिंदी तथा अन्य भारतीय भाषाओं की अभूतपूर्व सेवा भी उन्होंने की है |

इस अवसर पर मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने सुशासन के महत्व पर प्रकाश डाला | उन्होंने इस पर बल दिया कि विधि का शासन “सुशासन के लिए पूर्व आधार है|” उन्होंने कहा कि विधि के विशेषग्य राष्ट्र निर्माण में विशेष योगदान दे सकते हैं |

लेखक दिल्ली विश्वविद्यालय में हिंदी के प्राध्यापक हैं।

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