“India is the cradle of human race, the birthplace of human speech, the mother of history, the grandmother of legend, and the great grandmother of tradition. Our most valuable and most astrictive materials in the history of man are treasured up in India only !”
सितंबर 24, 1932 में आज ही के दिन महात्मा गाँधी और बीआर अंबेडकर (BR Ambedkar) के बीच भारी मतभेद और लम्बे विवाद के बाद ऐतिहासिक पूना पैक्ट (Poona Pact) का समझौता हुआ था। सितंबर 19, 1932 की सुबह बॉम्बे (जिसे अब मुंबई के रूप में जाना जाता है) में लोग भारी मात्रा में पहले से ही इंडियन मर्चेंट्स चैंबर हॉल के सामने बरामदे में मौजूद थे। उनकी प्राथमिकता आज के दिन सिर्फ और सिर्फ एक थी: महात्मा गाँधी का जीवन बचाना, जो लम्बी अवधि से अनशन पर हैं और उनके पास 24 घंटे से भी कम समय है।
अरुणा आसफ़ अली भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थीं। उन्हें 1942 मे भारत छोडो आंदोलन के दौरान मुंबई के गोवालीया मैदान मे कांग्रेस का झंडा फहराने के लिये हमेशा याद किया जाता है। स्वतंत्रता के बाद भी वह राजनीती में हिस्सा लेती रही और 1958 में दिल्ली की मेयर बनी। 1960 में उन्होंने सफलतापूर्वक मीडिया पब्लिशिंग हाउस की स्थापना की। Aruna Asaf Ali के या योगदान को देखते हुए 1997 में उन्हें भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
भारत एक लोकतान्त्रिक देश है, यहाँ की सुन्दरता यहाँ की भिन्नता में है. जब जब यहाँ के लोकतंत्र पर किसी तरह का ख़तरा आता है, क्रांतियाँ होती है और लोकतंत्र को फिर से मुक्त कराया जाता है. इंदिरा गाँधी द्वारा जारी किया आपातकाल इसी तरह का एक लोकतान्त्रिक खतरा था. इस समय जयप्रकाश नारायण ने सरकार के इस फैसले के विरुद्ध अपना प्रखर विरोध जताया था. इनका नाम भारतीय राजनीति में क्रान्ति का नाम है. इन्हें लोग जेपी भी कहते हैं. इन्हीं के नाम पर बिहार के पटना हवाई अड्डे का नाम रखा गया है.
कहानी ऐसे क्रांतिकारी की जिसने अंग्रेजों के संसद पर बम्ब से हमले भी किये और डटे भी रहे , कहानी उस क्रांतिकारी की जो भगतसिंह का साथी था , कहानी उस क्रांतिकारी की जो बम्ब बनाने में माहिर था !! अपने कालापानी के सजा के बाद बटुकेश्वर दत्त गाँधी जी के आंदोलनों में भी सक्रिय रहे , चम्पारण की इस मिटी को उन्हीने पावन भी किया , जब उन्हें चार वर्षों तक यहाँ के जेलों में उन्हें रखा गया था!! आज़ादी के बाद इस क्रांतिकारी को लोग भूल गए , यू कहे तो सत्ता भूल गई , उन्हें टूरिस्ट गाइड तक के काम करने पड़े !! इलाज तक के पैसे नही थे ! उनसे क्रांतिकारी होने का सबूत मांगा गया!! ये सब हुआ उसी देश में, जिस देश की खातिर उन्होंने अपना यौवन न्योछावर कर दिया !! पूरी कहानी तक कि टीम उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करती है!! जय हिंद🇮🇳