शिवस्तुति
ठाकुर प्रसाद मिश्र रजनी अभिलाषिनि सोम सुधा.विभु ने जेहि मस्तक मान दियो है। नित भागीरथी अभिषेक करैं.शशि ने तेहिअमृत दान कियो है। अकुलानि निशा उर ग्लानि महा.तम वस्त्र कलेवर तानि…
ठाकुर प्रसाद मिश्र रजनी अभिलाषिनि सोम सुधा.विभु ने जेहि मस्तक मान दियो है। नित भागीरथी अभिषेक करैं.शशि ने तेहिअमृत दान कियो है। अकुलानि निशा उर ग्लानि महा.तम वस्त्र कलेवर तानि…
जो बिकने लगा वह किसी एक का होकर नहीं रहता है रमेश कुमार मिश्र मुर्गे की पहली बांग के साथ रामू काका जाग जाया करते थे.उनके पास एकमात्र गाय थी.सुबह…