जीवन के हकीकत को बयां करती हुई मेरी रचना
अनुज परीक्षित पाण्डेय
नखरे हैं किस बात के पगले,किसका तुझे गुमान रे
तेरी भी डोली जाएगी,आखिर में शमसान रे।।
माया का ये जग है प्यारे,माया की सब बात रे
माया का ही दिन है प्यारे,माया की ही रात रे।
घिरा हुआ है तू माया में,है कितना नादान रे।
तेरी भी डोली जाएगी,आखिर में शमसान रे।।
चार दिनों तक सब रोएंगें,प्यारे तेरी याद में
फिर तो तेरी याद भी उनको,आएगी न बाद में।
ऐसे अपनों के खातिर तू,बनता क्यूं बेइमान रे।
तेरी भी डोली जाएगी,आखिर में शमसान रे।।
नफरत वाले शूल त्यागकर,प्यार के फूल खिलाओ
दफन हो रही मानवता को,फिर से जरा जिलाओ।
जीवन अपना जी ले प्यारे,बनकरके इंसान रे।
तेरी भी डोली जाएगी,आखिर में शमसान रे।।
नाहक चिंता क्यूं करता सब,झूठा ताना-बाना है
मिट्टी का ये तन आखिर में,मिट्टी में मिल जाना है।
इक दिन पंछी उड़ जाएगा,श्वेत चदरिया तान रे।
तेरी भी डोली जाएगी,आखिर में शमसान रे।।
रटनाकार- परीक्षित पाण्डेय
प्रकाशित कृति हथेली के दाग,
वर्तमान पता= न्यू गोल्डन एजुकेशन सेंटर सेकेंडरी रानीवाड़ा ( राजस्थान)
ग्राम/ पोस्ट कुशमहरा, जिला आजमगढ़