शिक्षक ही बचा सकता है सूचना की आंधी से

शिक्षक पर “गुरू शतपथ है” श्री अरुणेश मिश्र द्वारा लिखित काव्य पंक्तियाँ जो गुरू के प्रति श्रद्धा भाव को जागृत करती है, सम्पादक मंडल के निर्णय से यह रचना प्रकाशित की जा रही है.

अरुणेश मिश्र

पारस लोहे को छूता है

लोहा सोना बन जाता है

दीपक दीपक को छूकर के

नित ज्योतिपुंज बिखराता  है

संतानों में वात्सल्य भाव

मां पिता बिखेरा करते हैं

प्राकृतिक दृश्य प्रेरित करके

सौंदर्य बोध भी भरते हैं

लेकिन गुरु जब शिक्षा देता

गुरुगम्य न कुछ रह पाता है

जिसको आशिष दे देते हैं

वह स्वयं गुरू हो जाता है

गुरु के चरणों की धूलि हमें

शतपथ दे पावन करती है

धुल जाता सारा अंधकार

अमृत बरसाती धरती है

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