सावन के गीत

रमेश कुमार मिश्र

मैं सावन के गीत बनूंगा ,
तुम रिमझिम बारिश बन जाना.
बनकर बारिश की बूंदें तुम मेरे दिल में आना.

जब ताल तलैया भरे हुए हों नदियों में हो पानी.
पुरुवा हवा का झोंका जब शाखों से करता हो मनमानी.

मैं सावन के गीत बनूंगा,
तुम रिमझिम बारिश बन जाना.
बनकर बारिश की बूंदें तुम मेरे दिल में आना.

श्याम मेघ चंचल स्वभाव में जब करते हो नादानी.
धानी रंग की चूनर ओढ़े जब धरती लगे सुहानी.

मैं सावन के गीत बनूंगा
तुम रिमझिम बारिश बन जाना.
बनकर बारिश की बूंदें तुम मेरे दिल में आना.

दादुर मोर पपीहा बोलें जब मधुरी -मधुरी बानी.
लुका छुपी में चंदा बादल जब संग करता हो अगुआनी.

मैं सावन के गीत बनूंगा,
तुम रिमझिम बारिश बन जाना.
बनकर बारिश की बूंदें तुम मेरे दिल में आना.

कवि युवा साहित्यकार हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *