“जिंदगी के गीत”
रमेश कुमार मिश्र बिकती हैं जहाँ जिंदगियाँ कपड़े उतार के. कैसे किसी ने कहा यहाँ कोई नहीं मरा.? कोई जाति से मरा , कोई पांति से मरा. कोई भूख से…
रमेश कुमार मिश्र बिकती हैं जहाँ जिंदगियाँ कपड़े उतार के. कैसे किसी ने कहा यहाँ कोई नहीं मरा.? कोई जाति से मरा , कोई पांति से मरा. कोई भूख से…