तुलसी का मानस Image source meta Ai

ठाकुर प्रसाद मिश्र

Thakur Prasad Mishra

लोक तम हारक उद्धारक अज्ञानिन को ।

ज्ञानिन को निर्गुण से सगुण पर चलावतो ।।

कलि के कराल अनुचरन मुख काठ देत ।

राव और रंक संबंध को जतावतो ।।

दुराचार सरिता में डूबते जो दुखी जन ।

धर्म रज्जु फेंकि तिन्हैं पार पहुंचावतो. ।।

रचिके जो मानस को थापि राखे मानस में ।

भोला रचे मानस अरु तुलसी हैं गावतो ।।

रचनाकार – सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं

प्रकाशित हिंदी उपन्यास” रद्दी के पन्ने”

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