दिल्ली आटो टैक्सी ड्राइवर के मसीहा बनकर खड़े हुए सुप्रीम कोर्ट के दिग्गज वकील रोहित पाण्डेय

टीम कहानीतकरोहित पाण्डेय सुप्रीम कोर्ट के जाने माने वकील हैं. जो कि सुप्रीम कोर्ट बार एसोशियेशन के कई बार अहम पदों पर रह चुके हैं. सुप्रीम कोर्ट में एक पदाधिकारी के रूप में रोहित पाण्डेय ने अपने वकील भाइयों के हितों की खूब लड़ाई लड़ी है. 

 इसी उम्मीद से आल दिल्ली आटो रिक्शा चालकों ने रोहित पाण्डेय का दिल्ली में एक भव्य स्वागत समारोह के दौरान खूब स्वागत कर फूल मालाओं से उन्हें लाद दिया गया, और रोहित पाण्डेय को अपना नेता मानते हुए उन्होंने अपने हक की लड़ाई लड़ने का जिम्मा भी सौंप दिया . रोहित पाण्डेय ने भी अपने प्रति मिलने वाले स्नेह, सम्मान और भरोसे को ध्यान में रखते हुए काली पीली टैक्सी व आटो ड्राइवरों को भरोसा दिलाया कि वे उनके हक की लड़ाई लड़ने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगे.

 मामला क्या है  जिसकी लड़ाई  में रोहित पाण्डेय जैसा सुप्रीम कोर्ट के बड़े वकील कूद पड़े? मामले की बात करें तो आटो टैक्सी ड्राइवर अवैध ट्रांसपोर्ट के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं, रोहित पाण्डेय इस मामले पर प्रकाश डालते हुए कहते हैं कि कुछ आंकड़े उन्हें जो आटो टैक्सी ड्राइवर की एसोसिएशन की तरफ से उपलब्ध कराए गए हैं उसे समझिए 160000 हजार ई रिक्शा में केवल 50000 ई रिक्शा ही रजिस्टर्ड हैं मतलब एक लाख दस हजार यूँ ही कृपा पर चल रहे हैं, कृपा किसकी जाहिर तौर पर मालूम नहीं, लेकिन जिस सरकार के शासन काल में चल रही है यह उसकी  नैतिक जिम्मेदारी है. इनको वेरीफाई करने का काम किसी रोहित पाण्डेय या किसी न्यायालय का नहीं है, और उनका सीधा कहना है कि ए जो अवैध ट्रांसपोर्ट धंधा है वह बिना माफियाओं के संभव नहीं है  और आप समझ सकते हैं कि ए माफिया ऐसे काम किसके बलबूते पर…..

उन्होंने सवाल उठाते हुए इस बात की तरफ इशारा किया कि इस समय बिना रजिस्ट्रेशन बहुत सी बाइक टैक्सी का प्रचलन बढ़ गया है, अब ऐसे में उन बाइकों  टैक्सियों का रजिस्ट्रेशन व वैरीफिकेशन न होने से आप और  हम सोच नहीं सकते कि कितनी बड़ी असुरक्षा को न्योता दे रहे हैं. यदि एक बिना वेरिफिकेशन वाली बाइक पर कोई लड़की कहीं जाने को बुक करके जाते हैं और खुदा न खाश्ता वह बाइक टैक्सी वाला किसी तरह अवांछित घटना को अंजाम देता है तो  आप उसे कैसे पकड़ पाएंगे.? 

रेलवे स्टेशन पर बेतरतीबी से खड़े हो रहे ई रिक्शा आटो टैक्सी का जिक्र करते हुए उन्होंने सभी से कहा कि ध्यान रखना चाहिए कि यात्रियों को असुविधा न हो.

ओला, उबैर को लीगल नोटिस की बात कहकर उन्होंने आटो टैक्सी ड्राइवरों की लड़ाई का बिगुल बजा दिया. बाहरी गाडियां जो यहाँ रजिस्टर्ड नहीं वह कैसे सेवा दे रही हैं ? उसकी लड़ाई छेड़कर उन्होंने अपने नैतिक दायित्व के तहत समाज सेवी होने का भी परिचय  दिया. वे कहते हैं “ सरकार सुनो मेरी बात, हम छोटे जरूर हैं, हमारी समस्याएं सुनिए हमें बर्बाद मत करो हमें न्याय दो  सरकार को चेताते  हुए रोहित कहते हैं कि हम सरकार बनाना जानते हैं तो गिराना भी जानते हैं, सडक जाम चक्का जाम होना भी स्वाभाविक है यदि हमारी मांगें न मानी गयीं . 

सरकार को चेताने के बाद रोहित ने उन सभी को भरोसा यह कर दिलाया कि सरकार अंतिम नहीं होती यदि सरकार अपना काम ठीक से नहीं करेगी तो, हम न्यायालय में आपकी आवाज बनकर लड़ाई लडेंगे. कानून सर्वोपरि है माफिया नहीं.

अंत में रोहित पाण्डेय कहते हैं कि आटो टैक्सी चालक भाइयों हमसे एक बार गल्ती हुई हमारे साथ धोखा हुआ लेकिन यह एक बार ही तो आगे हम इसका अवसर न देंगे. रोहित आम आदमी की ताकत बताते हुए कहते हैं कि जब कुछ लोग इकट्ठा होकर किसी को कंधे पर बिठा लेते हैं तो वह गगनचुम्बी हो जाता है और जब वही लोग मिलकर किसी एक व्यक्ति को दबाता है तो वह जमींदोज हो जाता है.

गरीब है वह आम आदमी का झुंड और दबता हुआ आदमी भ्रष्टाचारी और माफिया है.

इस सम्मान समारोह में दिल्ली कांट्रेक्ट बस एसोशियेशन के महा सचिव डा. हरीश सब्बरवाल समाज सेवी सूरज प्रकाश वैद्य, जोगिंदर सिंह,  दिल्ली आटो रिक्शा संघ के अध्यक्ष राजेन्द्र सोनी और भारी संख्या में काली पीली टैक्सी के चालक उपस्थित रहे. इस सम्मान समारोह के हिस्से रोहित जी के साथ बहुत वकील भी रहे आदि बहुत से लोग रहे.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *