अरुणेश मिश्र

कोई गीता लिए खड़ा है
कोई कुरान लिए खड़ा है
कोई संविधान लिए खड़ा है
समाज औंधे मुंह पड़ा है !
समाज मे भी तरह तरह के लोग हैं
किसी को उपदेश में विश्वास है
किसी को सन्देश में विश्वास है
किसी को आदेश में विश्वास है
हमे केवल देश मे विश्वास है ।
अधिसंख्य के मुँह पर ताला भी जड़ा है
समाज औंधे मुँह पड़ा है !
😃😀
कुछ भ्रष्टाचार में सने हैं
कुछ निधियों से बने हैं
कुछ अनाचार में घने हैं
हम शिष्टाचार करके भी अनमने हैं ।
वास्तव में समय यह कितना कड़ा है
समाज औंधे मुँह पड़ा है !
😀😃
हम गाय को पूजते रहे
कुत्तों को गोद मे खिलाते रहे
दलबदल देखकर सुनिश्चित है
हम आस्तीन के सांपों को दूध पिलाते रहे ।
आचरण में आजतक अंतर बड़ा है !
समाज औंधे मुँह पड़ा है ।
😀😃
आजाद हैं आजाद ही रहेंगे
कालेधन के वर्चस्व को देखकर
कुछ न कहेंगे
सभी कष्ट लगातार सहेंगे
फिर भी कमीशनखोरों की
जयजयकार में बहेंगे ।
सत्य कितना मौन ? अब झूठा अड़ा है ।
समाज औंधे मुँह पड़ा है !
😃😀

लेखक प्रख्यात साहित्यकार हैं.
व प्राचार्य इंटर कालेज सीतापुर उ. प्र.पद का दायित्व संभाल चुके हैं.

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