कविता

चातक

ठाकुर प्रसाद मिश्र आज चातक की तृषा में तीव्रता का ह्रास है |नेह नीरद से नहीं अब क्षुद्र सरिता दास है || एक निष्ठा की कहानी विगत की स्वप्निल निशा…

शिवस्तुति

ठाकुर प्रसाद मिश्र रजनी अभिलाषिनि सोम सुधा.विभु ने जेहि मस्तक मान दियो है। नित भागीरथी अभिषेक करैं.शशि ने तेहिअमृत दान कियो है। अकुलानि निशा उर ग्लानि महा.तम वस्त्र कलेवर तानि…