लेखनी
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रमेश कुमार मिश्र अलख जगाओ हे! प्रहरी तुम कोई पिए न जहर शराब. पीने वाले के भविष्य के जल जाते हैं सारे ख्वाब. बेटी आंखें जगत निरखतीं वर्ष तीस न…
रमेश कुमार मिश्र संघर्षों के महासमर में युद्ध तुम्हें लड़ना होगा. मरुभूमि तपन की हो चाहे! हर पांव तुम्हें रखना होगा. पथ शूल लाख हों दर्द नहीं हे! पैर तुम्हें…
रमेश कुमार मिश्र बिकती हैं जहाँ जिंदगियाँ कपड़े उतार के. कैसे किसी ने कहा यहाँ कोई नहीं मरा.? कोई जाति से मरा , कोई पांति से मरा. कोई भूख से…
अरुणेश मिश्र कोई गीता लिए खड़ा हैकोई कुरान लिए खड़ा हैकोई संविधान लिए खड़ा हैसमाज औंधे मुंह पड़ा है !समाज मे भी तरह तरह के लोग हैंकिसी को उपदेश में…
ठाकुर प्रसाद मिश्र तिरोहित आर्य संस्कृति, विलुप्त वेद ज्ञान है.विडम्बना नियति की है, कि सब स्वयं महान हैं. कहें मिटाएं रूढ़ियां पर, नष्ट होतीं पीढ़ियाँ.उद्दंडता प्रवृत्ति ही, बनी विकास सीढ़ियां.…
ठाकुर प्रसाद मिश्र सोहत नगेश तनुजा के अंक गज भाल |उमगि उठाय कर चरण चलावते || स्तन युगल क्षीर आकुल ह्वैपान करैं |पितु तनु देखि युग नैन मटकावते || पुलकि…
ठाकुर प्रसाद मिश्र आज चातक की तृषा में तीव्रता का ह्रास है |नेह नीरद से नहीं अब क्षुद्र सरिता दास है || एक निष्ठा की कहानी विगत की स्वप्निल निशा…
ठाकुर प्रसाद मिश्र रजनी अभिलाषिनि सोम सुधा.विभु ने जेहि मस्तक मान दियो है। नित भागीरथी अभिषेक करैं.शशि ने तेहिअमृत दान कियो है। अकुलानि निशा उर ग्लानि महा.तम वस्त्र कलेवर तानि…