खेलना
जियो ऐसे की तुम खेल रहे हो अरुणाकर पाण्डेय जियो ऐसे की तुम खेल रहे हो अवसर आएंगे और जाएंगे कभी हताशा में डूबोगे तो फिर उत्साह की बयार भी…
जियो ऐसे की तुम खेल रहे हो अरुणाकर पाण्डेय जियो ऐसे की तुम खेल रहे हो अवसर आएंगे और जाएंगे कभी हताशा में डूबोगे तो फिर उत्साह की बयार भी…
वृक्ष हमारी प्रकृति के श्रृंगार हैं. संपूर्ण धरा इन वृक्षों से सुसज्जित रहती है. प्रस्तुत कविता में पर्यावरण की चर्चा हमें प्रकृति से जुड़ने को प्रेरित करती है ठाकुर प्रसाद…
हिंदी को राजभाषा बनाएं सत्येंद्र कुमार दूबे हिंदी को राजभाषा बनाएं, मिलकर सब इसे अपनाएं। इसके संग देश की रौनक बढ़ाएं, हिंदी से हर दिल को मिलाएं। शब्दों में इसकी…
शिक्षक पर “गुरू शतपथ है” श्री अरुणेश मिश्र द्वारा लिखित काव्य पंक्तियाँ जो गुरू के प्रति श्रद्धा भाव को जागृत करती है, सम्पादक मंडल के निर्णय से यह रचना प्रकाशित…
जय देव भूमि भारत की , जय वीर प्रसवनी माते । ठाकुर प्रसाद मिश्र जय देव भूमि भारत की , जय वीर प्रसवनी माते । अर्पित तुमको तन मन है,शुभ…
न मानवीय मूल्य की रही कहीं भी साधना ठाकुर प्रसाद मिश्र न मानवीय मूल्य की रही कहीं भी साधना | मिटा विधान सत्य का असत्य की आराधना || अल्लाह और…
ठाकुर प्रसाद मिश्र उठो ब्राह्मणों तेज संभालो जग में नया प्रकाश भरो | अविवेकी तम पसर न पाये इसका सतत विनाश करो || तुमने बांटा ज्ञान जगत को जन को…
रामचरितमानस वैशिष्ट्य ठाकुर प्रसाद मिश्र मैं रघुवर का चरणामृत हूं, अवधी हिंदी श्रृंगार हूं मैं | मैं नहीं पथिक का बट गायन, वाणी वीणा झंकार हूं मैं || जो अपसंस्कृति…
कविता : पथिक हे! पथिक जाते कहाँ हो? दिवस अब सोने को जाता | यह महामानी नगर ना रैन में दीपक जलाता || है उलूकों का यहाँ पहरा निरंतर रात…
दिनकर की अति दिव्य प्रभा पर कालिख कैसी ठाकुर प्रसाद मिश्र दिनकर की अति दिव्य प्रभा पर कालिख कैसी?कनक थाल में लगी हुई हो काई जैसी || ग्रहण लगा सा…