यह सेतुबंध! FROM SOCIAL MEDIA

अरुणेश मिश्र

ARUNESH MISHRA

यह सेतुबंध !

किस मेधावी अभियंता ने

कर सुरुचिपूर्ण इसका प्रबंध

बतला दी तीनो लोकों में

भगवान राम की ही सुगंध

यह सेतुबंध !

यह सेतु जोड़ता नदियों से

सागर इससे जुड़ जाते हैं

भूले भटके जो लोग भ्रमित

वह सेतु ओर मुड़ जाते हैं

यह सेतु जगत में भिन्न भिन्न

जुड़कर हो जाते हैं अभिन्न

मानवता का है सेतु यहां

है परहित का चिर सेतु यहां

सद्भाव , विनय के सेतु अमर

जो नहीं चाहते कभी समर ।

वे क्या समझें जो रहे अंध

यह सेतुबंध !

रचनाकार- अरुणेश मिश्र,  सुप्रसिद्ध साहित्यकार , पूर्व प्रधानाचार्य , सीतापुर

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