स्वच्छ भारत
ठाकुर प्रसाद मिश्र
सिंगल यूज प्लास्टिक त्यागो, यह जीवन पर भारी है |
अगणित दुर्गुण का यह स्वामी इससे जगत दुखारी है ||
सर सरिता सागर तक दूषित , दूषित पृथ्वी सारी है |
इसका सच्चा बंधु प्रदूषण, दूषित हवा ही न्यारी है ||
इनसे पैदा हुआ कैंसर, सब रोगों का नायक है |
खुला शौच मल मूत्र गंदगी, इसके परम सहायक हैं ||
शहर, नगर, घर गांव की गलियां, स्वच्छ रखो यह नारा है |
इस दुश्मन का त्याग करो, तबही जीवन रस पाओ ||
सदा रही है यह सच्चाई जो बोओ सो पाओगे |
तन मन स्वच्छ स्वच्छ है भारत यही हमारा नारा है||
गर्व कर सकें हम सब मिलकर हमने देश संवारा है |
स्वस्थ, शतायु अगर रहना है तो, स्वच्छता सहारा है ||
रचनाकार हिंदी साहित्य के प्रतिष्ठित साहित्यकार हैं.
प्रकाशित हिंदी उपन्यास ” रद्दी के पन्ने”