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रमेश कुमार मिश्र

Ramesh Mishra

खिली है फूलों से मेरी धरती सुंदर सुहानी

अंबर चूमे इस माटी को लेकर मीठा पानी

भारवि, दंडी ,कालिदासा ,बाल्मीकि विज्ञानी, 

संत कबीरा, तुलसीदासा ,मीरा दिवानी, 

भाई चारा गंगा जमुनी तहजीबों का पानी, 

जग में न्यारा देश हमारा हम हैं हिन्दुस्तानी, 

इस मिट्टी की कदर करो दे करके सब कुर्बानी, 

एक तिरंगा जग का झंडा बन जाए अमिट निशानी

मेरी माटी की खुशबू में हो जग की अगुवानी,

रचनाकार- एम. ए. हिंदी व हिन्दी पत्रकारिता पी.जी.डिप्लोमा दिल्ली विश्वविद्यालय दिल्ली से हैं

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