“ साहस की नौका “

saahas kee nauka

 रमेश कुमार मिश्र                   

संघर्षों के महासमर में युद्ध तुम्हें लड़ना होगा. 

मरुभूमि तपन की हो चाहे! हर पांव तुम्हें रखना होगा. 

पथ शूल लाख हों दर्द नहीं हे! पैर तुम्हें चलना होगा. 

बाधाओं के अंधड़ में भी तुमको शांतचित्त रहना होगा. 

             संघर्षों के महासमर 

पर्वत कितना भी ऊंचा हो तुम्हें कदम- कदम चढ़ना होगा. 

सागर कितना भी गहरा हो पर पार तुम्हें करना होगा. 

धैर्य का संबल बांध तुम्हें शंकर- शंकर कहना होगा 

सरिता की धारा बन तुमको नित कल- कल ध्वनि बहना होगा. 

          संघर्षों के महासमर में…  

हे! राम कृष्ण के वंशज तुम्हें सूरज जितना तपना होगा. 

मर्यादा पुरुषोत्तम सा बनना है घर छोड़ तुम्हें चलना होगा. 

कॉल चलेगा नहीं रुकेगा तुमको भी चलाना होगा. 

बूझ पहेली रिक्त हथेली इसे तुम्हें भरना होगा. 

          संघर्षों के महासमर में 

अपनों का होगा साथ पर ताना तुमको सहना होगा. 

उपहास प्रेरणा भर दिल में पुरुषार्थ तुम्हें करना होगा. 

काम क्रोध मद लोभ छोड़ तुम्हें वासुदेव भजना होगा. 

नरसिंहावतार भी होगा प्रहलाद तुम्हें बनना होगा. 

         संघर्षों के महासमर में 

पार्थसारथी रथ पर होंगे अर्जुन तुमको बनाना होगें. 

गीता का भी ज्ञान मिलेगा शिष्यत्व  तुम्हें धरना होगा. 

छोटा बड़ा नहीं कोउ जग में प्रेम सभी से करना होगा. 

सब का सबको हक मिल पाए ऐसा प्रबंध करना होगा. 

निज किस्मत का रोना-रोना बंद तुम्हें करना होगा. 

घड़ी बंद हो जाए कभी तो चाभी भी भरना होगा. 

अरमानों को पूरा करना है अपमान तुम्हें सहना होगा. 

कौरव दल पर विजय मिलेगी वनवास तुम्हें रहना होगा. 

           संघर्षों के महासमर में 

साहस की नौका ले पतवार धैर्य की सागर तुमको तरना होगा. 

विजय श्री भी वरण करेगी श्रमिक तुम्हें बनाना होगा. 

         संघर्षों के महासमर में…  

कवि प्रसिद्ध युवा साहित्यकार हैं 

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