लब- ए- ख़ामोश

डा. संदीप 

लब-ए-ख़ामोश से जो अफ़साने बयाँ न हुए कभी

आईना-ए-निगाह दिल के सारे फ़साने कह गए

अगर तुम न बताना चाहो तो मत बताना किसी को

 

नज़्मकार -पत्रकार, लेखक, विचारक, ब्लॉगर अंतरराष्ट्रीय संबंधों में डॉक्टरेट अर्थात् Ph.D (Int’l & Pol. Studies), DU. @IIMCAA Alumni

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