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रश्मि विभा त्रिपाठी

रश्मि विभा त्रिपाठी

हमेशा देखती हूँ मैं

हवा के हाथों में

धूप की परछाईं में

झील के शीशे में

शिखर की अंगड़ाई में

जाह्नवी के द्वारे

जुन्हाई के तेज बल्बों में

कत्थक कला की प्रस्तुति देती

उर्मि के उत्साही तलवों में

राग प्रभाती गाते

पंछियों के 

पंखुड़ी- से होठों पर

आकण्ठ मग्न 

अटारी,छज्जे, कोठों पर

फूलों, कलियों के गालों पर

टहनियों, डालों पर

आकाश की गली में टहलते

बादल के पाँव में

वर्षा में नहाते, 

भीगते, 

फुहारों में हर्षाते गाँव में

आकाश के गोरे- चिट्टे चेहरे में

धरती की

डबकोली, कजरारी आँखों में

और

उन निरीह लाखों में

अपनी छवि!

मुझे अकेलेपन का 

मत कहो कवि!!

मैं साँस लूँ

तो कभी नहीं आती मुझे 

उदासीनता की हल्की- सी भी गंध

व्यष्टि, समष्टि के लिए हर पल

मेरे मन के बगीचे में झरी

भीनी- भीनी सुगंध 

किसी को देने को उजास के फूल

मैं दे दूँ हँसके स्वयं की हवि

रात भले अभी गहरी है

पर मेरी दृष्टि ठहरी है

वहाँ, जहाँ बैैठा हाँफता है अँधियारा

और हँसते हुए रथ हाँकता चला आता है रवि।

परिचय—

सुप्रसिद्ध कवयित्री

नाम- रश्मि विभा त्रिपाठी 

जन्मस्थान- आगरा, उत्तर प्रदेश, भारत 

शिक्षा- एम. ए. (शिक्षाशास्त्र), बी. एड.

प्रकाशित पुस्तक- ‘प्रेम पाँखुरी’ (हाइकु- संग्रह), ‘मन की परिधि’ (काव्य- संग्रह)।

सम्पादन एवं अनुवाद- ‘ऊषा आएगी’ (भुरुका आई) अवधी में अनूदित हाइकु- संग्रह, ‘स्वर्णिम साँझ’ (सुन्हैरी संझा) ब्रज में अनूदित हाइकु- संग्रह, ‘शेफाली खिली’ (सेफाली फूली) ब्रज में अनूदित ताँका- संग्रह। 

साझा संकलन- हाइकु- संग्रह ‘अप्रमेय’ (सम्पादक: डॉ. भीकम सिंह),  ‘भावनाओं के घरौंदे’ (सम्पादक: डॉ. कुँवर दिनेश सिंह), हाइकु- संग्रह ‘सप्तपदी’ (सम्पादक: रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’), वैश्विक हाइकु- संग्रह ‘शैल शिखर’ (सम्पादक: डॉ. कविता भट्ट ‘शैलपुत्री’), पुस्तक ‘छंद विधान एवं सृजन’ (लेखक: रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’), पुस्तक ‘लघुकथा डॉट कॉम मेरी पसंद- 5’ (सम्पादक: सुकेश साहनी एवं रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’) ताँका- संग्रह ‘सजे गुलमोहर’ (सम्पादक: सुदर्शन रत्नाकर), क्षणिका- संग्रह ‘उड़ मत जाना’ (सम्पादक: डॉ. उमेश महादोषी), हाइकु- संग्रह ‘अँधेरों का सफर’ (सम्पादक: डॉ. सुरंगमा यादव)।

अन्य प्रकाशन- महत्त्वपूर्ण पत्र- पत्रिकाओं में देश- विदेश से प्रकाशित रचनाएँ तथा आलेख।  

अनुवाद- डॉ कविता भट्ट ‘शैलपुत्री’ द्वारा अनुदित ‘पहाड़ी पर चंदा’ (काँठा माँ जून) में हाइकु का गढ़वाली भाषा में अनुवाद- कार्य एवं लघुकथा का बांग्ला भाषा में अनुवाद। 

प्रसारण- वाशिंगटन डी सी से रेडियो स्टेशन ‘रेडियो जिन्दगी’, आकाशवाणी लखनऊ, उ. प्र. से रचना- प्रसारण।

भेंटवार्ता- भाषा सम्बन्धी, रेडियो स्टेशन भारत रेडियो ओहियो, यू एस ए।

सम्प्रति- स्वतंत्र लेखन।

ईमेल- trashmivibha@gmail.com

One thought on “कवि”
  1. बहुत सुंदर भावपूर्ण कविता । हार्दिक बधाई रश्मि जी

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