रमेश कुमार मिश्र
हिंदी है तो हम हैं, यह भाव सदा उर मध्य बसे हिंदी |
बहु चित्त चरित्र बाहक हिंदी, तन -मन हिंदी जीवन हिंदी||
कहीं रासो राज कही हिन्दी,कहीं जायसी की पदमावत हिंदी |
कहीं कबिरा दोहा बन बरसी हिन्दी, कहीं तुलसी नाम अमर हिन्दी ||
कहीं वत्सल सूर बसी हिन्दी, कहीं मीरा के पद कहती हिन्दी |
कहीं कामायनी प्रसाद बनी हिन्दी ,कहीं पंत प्रकृति सुषमा लट उलझी हिंदी ||
कहीं शक्ति पूजा मंत्र निराला उचरी हिन्दी, कहीं देवी दुख नीर बरसी बदली हिन्दी |
कहीं भारत इंदु बनी हिन्दी, कहीं वीणा प्रसाद से महावीर बनी हिन्दी ||
कहीं कुटज भाव हजारी बनी हिन्दी, कहीं हरिऔध प्रवास बनी हिन्दी |
कहीं गीतांजलि विश्वमान खिली हिंदी,कहीं भारती सम्मान बनी हिन्दी ||
कहीं कुरुक्षेत्र में दिनकर बन प्रश्न करे हिंदी, कहीं हल्दी घाटी की तेज चमक हिन्दी |
कहीं बाग तड़ाग वन उपवन सुखमनि हिन्दी, कहीं चातक प्यास उद्बोधक हिन्दी||
सोचो हिन्दी बोलो हिन्दी, निज भाषा पर अभिमान करो |
भारत माटी को कर प्रणाम, अब हिन्दी में सब काम करो ||
रचनाकार- एम. ए. हिंदी व हिन्दी पत्रकारिता पी.जी.डिप्लोमा दिल्ली विश्वविद्यालय दिल्ली से हैं